अगले लोकसभा चुनावों से पहले ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’ का नारा देने वाला गैंग फिर सक्रिय हो गया है और हमेशा की तरह इस बार भी मुख्यधारा की मीडिया का एक हिस्सा सक्रिय रूप से इस गैंग की साजिशों में अपनी भूमिका पूरी ईमानदारी से निभा रहा है। भारत के टुकड़े करने की साजिश का पहला चरण है हिंदुओं के अंदर जाति के आधार पर फूट डालना और इसके तहत इस बार सीधे इस देश के सुरक्षा बलों को ही निशाने पर लिया गया है।
वामपंथी पत्रिका कारवां ने एक आलेख प्रकाशित कर पुलवामा में बलिदान हुए सीआरपीएफ जवानों की जाति के बारे में लिखा है। पत्रिका के मुसलमान रिपोर्टर ने जवानों की जाति जानने में एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया। पत्रिका ने यह साबित करने की कोशिश की बलिदान हुए जवानों में ज्यादातर निचली जातियों के हैं। स्वर्ण बहुत कम हैं। सीआरपीएफ के प्रवक्ता ने इस आलेख की कड़ी आलोचना की है और साफ कहा है कि देश के सुरक्षा बलों में भर्ती होने वाले हर सिपाही की एक ही जाति होती है और वो जाती है ‘भारतीयता’।
लोगों को ये समझना चाहिए कि पूरे देश में चुनाव की सरगर्मियां तेज हैं और ऐसे में देश का माहौल कैसे बिगाड़ा जाए यह साजिश कथित सेकुलर मीडिया करने में जुटा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरह तीन तलाक के मुद्दे पर मुस्लिम महिलाओं के हक की आवाज बुलंद की है उससे ये गैंग और भी भयभीत हो उठा है और उसे लग रहा है कि मुस्लिमों की आधी आबादी ने भी यदि एनडीए के लिए वोट कर दिया तो मोदी सरकार फिर आ जाएगी और अगले पांच सालों में उनके जैसे देश विरोधी तत्वों के लिए इस देश में रही-सही जगह भी खत्म हो जाएगी। ऐसे में हिंदुओं में फूट डालना ही उनके सामने एकमात्र विकल्प रहता है।
जहां तक हिंदुओं में फूट डालने का सवाल है, आजादी से पहले अंग्रेज यह काम करते थे और आजादी के बाद सफलतापूर्वक तथाकथित सेकुलर दल और सेकुलर मीडिया इसे करता रहा। वोट बैंक की इसी राजनीति के चलते भारत आजादी के 70 साल बाद भी उतनी तरक्की नहीं कर पाया जितनी करनी चाहिए थी। आज जब देश तरक्की के रास्ते पर आगे बढ़ रहा है तो यह ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’ का नारा लगाने वालों को हजम नहीं हो रहा है। चुनावों से पहले कथित सेकुल मीडिया द्वारा छापे जाने वाली खबरों पर गौर करेंगे तो हमेशा आपको जाति से जुड़े आंकड़े ही दिखाई देंगे। किसी सीट पर किस जाति के कितने मतदाता हैं, चुनाव हमेशा इसी मुद्दे पर करवाने का प्रयास ये तथाकथित सेकुलर दल और मीडिया करता रहा है। किसी सरकार ने विकास का क्या काम किया इससे इस गैंग को कभी कोई लेना-देना नहीं रहा। 2014 से ये स्थिति बदल गई और लोगों ने जाति से ज्यादा विकास को महत्व देना शुरू किया तो इस गैंग की मुश्किलें बढ़ गईं। इसी लिए इस बार चुनाव से पहले हर हाल में जाति को मुद्दा बनाने की कोशिश हो रही है।
पिछले पांच सालों में इस गैंग ने बहुत ही योजनाबद्ध तरीके से पहले दलितों में फूट डालने के लिए जय भीम और जय मीम का नारा दिया। अलग-अलग राज्यों के चुनावों में यह नारा किसी काम नहीं आया तो योजना को और आगे बढ़ाकर इसमें पिछड़ी जातियों को भी शामिल कर लिया गया है।
यह अकारण नहीं है कि सुरक्षा बलों को जाति में बांटने वाली पत्रिका खुलेआम रोहिंग्याओं को पिछले 5 वर्ष में भारत में हो रही असुविधाओं पर भी आलेख छाप रही है। इस आलेख में वो खुलकर लिखती है कि पिछली सरकार में रोहिंग्याओं का भारत की सीमा पर सुरक्षा बलों के जवान पूरी नरमी से स्वागत करते थे मगर इस सरकार में उनकी सभी सुविधाएं छीन ली गई हैं। उन्हें जबरन वापस भेजा रहा है।
यह न भूलें कि यह वही पत्रिका है जिसने जज लोया कि मौत के बारे में झूठी खबर छापकर पूरे देश में सनसनी फैला दी थी जबकि उस मामले में देश का सुप्रीम कोर्ट भी ये साफ कर चुका है कि इस मामले में कोई दम नहीं है। इस बार ‘टुकड़े-टुकड़े’ गैंग का हिस्सा बनकर इसने सुरक्षा बलों के साथ-साथ पूरे देश की नाराजगी मोल ले ली है। पूरे देश में पत्रिका के कृत्य की निंदा हो रही है।
– सुमन कुमार