गंगा दशहरा और पर्यावरण

3170bd948da013b0b8bd5e46831f5983आज गंगा दशहरा पर्यावरण संरक्षण का एक बड़ा संदेश है और हमें वर्षाजल के संग्रहण की प्रेरणा देता है। श्रीराम के पूर्वजों राजा इक्ष्वाकु से लेकर राजा भगीरथ तक की अनेक पीढ़ियों ने गंगा जी को पृथ्वी पर लाने में अपना सर्वस्व न्यौछावर किया। कई राजाओं ने हिमालय पर झीलों सरोवरों का निर्माण कराया। राजा सगर और सगर पुत्रों ने वृक्षारोपण किया। राजा दिलीप ने गायें पाली। तब जाकर हिमालय पर वर्षा जल ठहरने लगा और फिर राजा भगीरथ ने अपने कठोर परिश्रम से जल की भिन्न-भिन्न धाराओं को मिलाकर उसे नदी (गंगा) का स्वरूप दिया ।
-स्वर्ग से गंगा का उतरना अर्थात आसमान से पानी गिरना ।
-शिव की जटा में गंगा रमना अर्थात पेड़ों की जड़ों में पानी का ठहरना ।
– उसी पानी को हिमालय से नीचे उतारकर मैदानों में लाना अर्थात भागीरथ प्रयत्न करना ।
आइये हम भी इस दिशा में प्रयत्न प्रारम्भ करें। अपने-अपने क्षेत्र में वर्षा जल को ठहराने के लिए कुछ भागीरथ प्रयत्न करें। यही गंगा दशहरा का सामयिक सन्देश है।

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