सीकर 29 अक्टूबर। पांच दिवसीय शेखावाटी साहित्य संगम की गुरुवार को शानदार प्रारंभ हुआ। उद्घाटन सत्र में शिक्षाविद अरविंद महला, सीनियर जर्नलिस्ट अर्चना शर्मा एवं लेखिका अंशु हर्ष ने संबोधित किया.
स्व भाषा, स्व देश व स्वधर्म के लिए कार्य करना होगा
उद्घाटन सत्र में शेखावाटी साहित्य संगम की इस वर्ष की थीम ‘स्व आधारित भारत का नवोत्थान’ को अरविंद महला ने स्पष्ट करते हुए कहा कि हर राष्ट्र का एक चरित्र होता है. उन्होंने शिक्षा में स्व को स्पष्ट करते हुए कहा ” भारत में सशुल्क शिक्षा का ढांचा नहीं था. अंग्रेजों ने अपनी शोध में पाया कि भारत की संस्कृति में सामाजिक विभेद है ही नहीं. यहां कोई वंचित वर्ग नहीं हैं. अंग्रेजो ने विराष्ट्रीयकरण, विसामाजीकरण व विहिन्दूकरण करने के लिए शिक्षा पद्धति को पूर्ण रूप से बदल दिया जो भारतीय संस्कृति के विपरित था. साँस्कृतिक भारत में विभेद के लिए जातिगत जनगणना आयोजित की गई. अरविंद मेहला ने बताया कि हमारा योग, विज्ञान अध्ययन आज पूरे विश्व को प्रेरणा दे रहा हैं. भारत को परम वैभव पर पहुंचाने के लिए स्वभाषा , स्वधर्म, स्वदेश पर कार्य करना होगा.
विदेशों में बदली हैं भारत की छवि
सीनियर जर्नलिस्ट अर्चना शर्मा ने बताया कि विदेशों में भारत की छवि बदल रही है. अपने ऑस्ट्रेलिया प्रवास का एक संस्मरण याद करते हुए बताया कि आज विदेशों के लोग भी कह रहे हैं कि यह भारतवासियों के भारत में रहने के लिए सर्वोत्तम समय है. भारत अपने स्व को पुनः प्राप्त करे इसके लिए आवश्यक है कि भारत का मीडिया स्व ‘तंत्र ‘ की स्थापना में सहयोग के लिए नए तरीकों से सोचे.
साहित्य व फिल्म क्षेत्र में स्व आधारित नवोत्थान की बात करते हुए प्रसिद्ध लेखिका अंशु हर्ष ने बताया कि भारत में कई फ़िल्में बनीं हैं जो स्व का बोध कराती हैं . तेरी मिट्टी में मिल जावा, जीरो दिया मेरे भारत ने जैसे गीत स्व का बोध कराते हैं. साहित्य प्रभु का एक अनुपम उपहार है और जब एक कला दूसरी कला से मिलती हैं तो वह विस्तार पाती हैं. इसी विस्तार से हमें स्व को प्राप्त करना हैं.
समाजसेवी प्रो महावीर कुमावत ने बताया कि भारत हमेशा से उद्योग प्रधान देश रहा हैं. परंतु कृषि प्रधान होने का नरेटीव गढ़ा गया. हमारे स्व पर शिक्षा,संस्कृत आदि पर प्रहार के माध्यम से स्व का जो लोप हुआ है उसे पुनः प्राप्त करना हैं.