—आज हिण्डौन के मोक्षधाम में अंतिम संस्कार
विसंकेजयपुर
जयपुर, 3 जून। सच में रा.स्वयंसेवक संघ, राजस्थान क्षेत्र के पूर्व मा.संघचालक श्री ओमप्रकाश जी मनुष्यों में ‘आर्य’ ही थे। उन्होंने गीता में लिखी पंक्तियों को सतत जीया। एक अनथक योगी की भांति उन्होंने सम्पूर्ण जीवन को पावन—पुनीत संघ कार्य के विस्तार में लगा दिया। हिन्दू तत्व पुरोधा आर्य जी को अंतिम विदाई देने राजस्थानभर से लोग जन्मस्थली हिण्डौन पहुंचे। हिण्डौन के मोक्षधाम में शुक्रवार को उनके देह को मुखाग्नि दी गई।
जीवन परिचय
प्रसिद्ध वकील, प्रखर वक्ता, ध्येय निष्ठ और सच्चे कर्मयोगी श्री ओमप्रकाश आर्य का जन्म 9 दिसम्बर 1928 को करौली जिले के हिण्डौन गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम गजाधर आर्य और माता का नाम गुलकंदी देवी था। उन्होंने बीए, एनएलबी तक शिक्षा प्राप्त की। विद्यार्थी काल में वे संघ के स्वयंसेवक बन गये। सन् 1948 से 1952 तक संघ के प्रचारक रहे। इसके बाद 12 फरवरी 1952 को उनका विवाह प्रेमवती जी से हुआ। गृहस्थ जीवन का निर्वहन करते हुये वे सतत संघ कार्य करते रहे। इमरजेंशी के दौरान 1975 से 1976 तक जेल में रहे। वे 1982 में घर—गृहस्थी की जिम्मेदारी अपने बेटों को सौंपकर संघ के पूर्णकालिक कार्यकर्ता बन गये। उन्होंने विभाग कार्यवाह, प्रांत कार्यवाह, मा.सहप्रांत संघचालक, मा.क्षेत्र संघचालक जैसे दायित्व कुशलता से संभाला। वे 1992 से 20 मार्च 2009 तक 17 साल तक राजस्थान क्षेत्र के संघचालक रहे। फोटो—विसंकेजयपुर