नागपुर,18 जुलाई। राष्ट्र सेविका समिति की प्रमुख कार्यवाहिका सुश्री सीता गायत्री ने कहा कि समाज में प्रत्येक महिला को न्यायिक सम्मान मिलना चाहिए। यदि ऐसा न हुआ तो समाज का एक हिस्सा आत्याचारों का शिकार हो जाता है। सीता गायत्री राष्ट्र सेविका समिति की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा के समापन के बाद पत्रकारों से बात कर रहीं थीं।
समिति ने राष्ट्रीय एकता स्थापित करने के लिए “समान नागरिक संहिता” को महत्वपूर्ण बताया। समिति की प्रतिनिधि सभा ने सर्व सम्मति से प्रस्ताव पारित कर भारत सरकार से आह्वान किया कि मुस्लिम महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचारों को समाप्त करने के लिए समान नागरिक संहिता कानून बनाए। समिति ने कहा कि हर महिला को न्यायिक सम्मान दिलाना सरकार का मानवीय, राजनीतिक और संवैधानिक दायित्व है। समान नागरिक संहिता बनाकर सरकार देश की एकता को मजबूत कर सकती है। इसी कानून के सहारे मुस्लिम समाज को शरीयत परम्परा से बाहर निकालकर उनके विकास का मार्ग पर लाया जा सकता है।
समिति ने अपने प्रस्ताव में कहा है, “राष्ट्र सेविका समिति का स्पष्ट मत है कि पृथक-पृथक नागरिक सहिंताएं होने के कारण न केवल वर्ग विशेष में कट्टरता और अलगाव बढ़ा है अपितु वह वर्ग मध्ययुगीन परम्पराओं को मानने के लिए अभिशप्त हो गया है। इन्हीं परम्पराओं के कारण उस वर्ग में महिलाओं के साथ अमानवीय व्यवहार करते हुए उन्हें पशुवत जीवन जीने के लिए मजबूर किया जा रहा है।”
समिति ने कहा कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद दुर्भाग्य से तुष्टिकरण की नीति के कारण तत्कालीन राजनीतिक नेतृत्व ने समान नागरिक सहिंता लागू नहीं होने दिया। समान नागरिक सहिंता का सम्बन्ध विवाह, तलाक, जमीन-जायदाद तथा उत्तराधिकार सम्बन्धी प्रावधानों से है। यही कारण है कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद देश का एक बड़ा प्रबुद्ध वर्ग इस कानून की मांग करता आया है। इसलिए समिति आह्वान करती है कि सरकार इस कानून को पारित कर भारतीय महिलाओं के न्यायिक सम्मान की रक्षा का दायित्व पूरा करें।