अखंड भारत का आधार सांस्कृतिक- राठौड़

जयपुर, 14 अगस्त। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र कार्यवाह हनुमान सिंह राठौड़ ने कहा कि राजनीतिक आधार पर खींची गई सीमाएं अस्थाई होती है। समय के साथ सीमाएं बदलती रहती है। इसलिए अखंड भारत की परिकल्पना कोरी नहीं है, इसके पीछे ठोस सांस्कृतिक आधार है। इसी के आधार पर अखंड भारत का निर्माण होगा, इस दिशा में भारत पहल कर सकता है।

राठौड़ रविवार को अखंड भारत दिवस पर हिन्दू जागरण मंच की ओर आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि अखंड भारत से तात्पर्य सांस्कृतिक रूप से वृहत्तर भारत से है। इसमें अफगानिस्तान, बर्मा, श्रीलंका, पाकिस्तान और बांग्लादेश समेत कई देश आते हैं। प्राकृतिक रूप से ये देश एक है। इन देशों की सामाजिक एवं सांस्कृतिक एकता के आधार पर ही अखंड भारत की कल्पना है। अखंड भारत के स्वरूप में यह राज्य तो रहेंगे ही लेकिन इनकी सीमाओं पर इनकी राष्ट्रीय सीमाओं पर अतिक्रमण नहीं होगा।

इस अवसर पर हिन्दू जागरण मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक कमलेश सिंह ने कहा कि देश विभाजन की नींव अंग्रेजों ने रखी थी और धर्म के आधार देश के टुकड़े किए। देश में घटित घटनाओं को चेतावनी के रूप में लेते हुए जनजागरण करने की आवश्यकता है। हमारे यहां कभी भी देशभक्ति का अभाव नहीं रहा, यह नेतृत्व करने वालों के उपर निर्भर करता है। कार्यक्रम को हिन्दू जागरण मंच के प्रदेश उपाध्यक्ष प्रो. जयंतसिंह ने भी संबोधित किया।

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