विसंकेजयपुर
जयपुर, 21 नवम्बर। संस्कृत भारती राजस्थान की ओर से सोमवार को मानसरोवर स्थित सेन्ट विल्फ्रेड महाविद्यालय में ‘संश्रव—एक शाम पण्डित वामनदेव शास्त्री (ड्रेविड़ फ्रॉक्लि) के साथ’ नामक कार्यक्रम का आयोजित किया गया। कार्यक्रम में 700 संस्कृत अनुरागियों ने हिस्सा लिया। मुख्य वक्ता पंडित वामदेव शास्त्री (ड्रेविड़ फ्रॉक्लि) थे। पं.वामदेव जी ने विश्व मंच पर संस्कृत भाषा की प्रतिष्ठा के उपाय एवं भारतीय संस्कृति के महत्व पर प्रकास डाला। हमारे दैनिक जीवन से संस्कृत भाषा किस तरह से जुडी हुई है, उस विषय पर शास्त्री जी ने विस्तृत रूप से समझया। उनका कहना था कि वेदों की ऋचाएं अपने आप में सम्पूर्ण ज्ञान और विज्ञान है जिन्हें समझकर समाज एवं विश्व का कल्याण किया जा सकता है शास्त्री ने पुरातत्व सरंचना पाकितिहास जैसे गम्भीर गूढ विषयो के बारे में जानकारी दी।
संस्कृत विभाग के प्रमुख शासन सचिव संजय दीक्षित ने भी संस्कृत शिक्षा एवं भाषा को आध्यात्म से जोड़कर विश्व मंच पर संस्कृत की आवश्यक्ता को आवश्यक बताया। समारोह के विशिष्ठ अतिथि में संस्कृत शिक्षा निदेशक डॉ.विमल कुमार जैन ने भी कहा कि समूचे भारत में राजस्थान ही एक ऐसा राज्य है जहां शिक्षा के रूप में संस्कृत अलग से पढ़ाई जाती है। जैन ने संस्कृत का प्रयोग दैनिक जीवन में अधीकाधिक करने पर बल दिया।
ये है पं.वामदेव
पं.वामदेव वैदिक परम्परा के प्र मुख बुद्धिजीवी है। वामदेव शास्त्री फलित ज्योतिष एवं आयुर्वेद दोनों में प्रवीण हैं। अमेरिका के सांटा फें नगर में वैदिक इंस्ट्यूट नाम से संस्था चलाते हैं। श्री शास्त्री मूलतः अमरिका के है जिन्होंने हिन्दू धर्म अपना लिया।