छद्म नक्सली समर्थकों पर कसी नकेल

जयपुर, (विसंके)। सन २०१८ के आरंभ में ही हुए कोरेगाव-भीमा हिंसा तथा उसके बाद पूरे महाराष्ट्र  में कई स्थानों पर हुई हिंसा के मामलों में पुणे पुलिस ने बुधवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए चार छद्म नक्सली समर्थकों पर नकेल कसी। पुलिस ने इन लोगों को विभिन्न स्थानों से गिरफ्तार किया। भीमा-कोरेगाव की घटना को कारण होने का आरोपी तथा पुणे में शनिवार वाड़ा पर हुई ‘एल्गार परिषद’ का आयोजक और लेखक सुधीर ढवले के साथ अन्य तीन लोगों का गिरफ्तार लोगों में समावेश है।

पुणे पुलिस ने मुंबई, दिल्ली तथा नागपुर से इन आरोपियों को गिरफ्तार किया। गिरफ्तार किए गए लोगों में सुधीर ढवले के अतिरिक्त पुलिस ने सुरेंद्र गडलिंग, महेश राऊत एवं वकील रोना विल्सन शामील है। इनमें से ढवले को उसके मुंबई स्थित गोवंडी के निवास स्थान से तथा गडलिंग और राऊत को नागपुर से तथा रोना विल्सन को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया है। पुलिस को संदेह है, कि भीमा-कोरेगाव में १ जनवरी को हुई हिंसा के यही चार मास्टरमाइंड है।

शहरी नक्सली

गुरुवार को पुणे पुलिस के संयुक्त पुलिस आयुक्त रवींद्र कदम ने बड़ा खुलासा करते हुए इन्हें प्रतिबंधित माओवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई-माओ) से जुड़ा हुआ बताया। पुलिस ने इन्हें ‘अरबन नक्सल’ और ‘टॉप अरबन माओवादी’ की संज्ञा दी है। कदम ने बताया कि एल्गार परिषद के आयोजकों का माओवादियों के साथ घनिष्ठ संबंध होने के पुख्ता सबूत मिले हैं। जिसमें राजनीतिक पार्टी और कुछ राजनेताओं के तार भी जुड़े हुए हैं। पुलिस जांच में जल्द ही सारी सच्चाई सामने आ जाएगी।

सरकार द्वारा प्रतिबंधित किए गए कबीर कला मंच के कार्यकर्ताओं के घरों पर ओपन रेड के दौरान छापमारी में जो भी दस्तावेज जब्त किए गए हैं, उसकी जांच करते बुधवार को इन पांच लोगों की गिरफ्तारी की गई।

 क्या है मामला

भीमा-कोरेगांव युद्ध के 200 साल पूरे होने के मौके पर  ता. ३१ दिसंबर २०१७ को पुणे में ऐतिहासिक शनिवार वाडा में ‘एल्गार परिषद’ संपन्न हुई थी। वहां भारिप-बहुजन महासंघ के प्रमुख प्रकाश आंबेडकर के साथ जेएनयु का छात्र नेता ओमर खालिद, जिग्नेश मेवाणी,  अवकाशप्राप्त न्या. बी. जी. कोलसे पाटील आदी कई वामपंथी नेता उपस्थित थे। इस परिषद में कई भड़काऊ भाषण और गाने प्रस्तुत किए गए। इसी के चलते  ता. १ जनवरी २०१८ को पुणे के नज़दीक कोरेगाव-भीमा में दंगे होने का आरोप किया गया है।

इस बीच, सूत्रों ने बताया, कि पुलिस को इनमें से हर एक के नक्सलियों से संबंध होने के पुख्ता सबूत मिले है। साथ ही नक्सलियों से संबंध होने के कारण इनमें से सबको इससे पहले गिरफ्तार भी किया गया था। नक्सलियों से संपर्क करना, उन्हें सामग्री प्रदान करना आदी आरोप उन पर किए गए थे। यलगार परिषद के खिलाफ पुणे के रहने वाले तुषार दमगुडे ने विश्रामबाग थाने शिकायत दर्ज करायी थी। इसके मुताबिक कबीर कला मंच के कार्यकर्ताओं ने कथित तौर पर भड़काऊ भाषण दिए थे, जिसके कारण जिले के कोरेगांव भीमा में हिंसा हुई।

रवींद्र कदम ने बताया कि जांच की प्रक्रिया के दौरान अगर जरूरत पड़ी तो जिग्नेश मेवाणी को भी समन किया जा सकता है। उन्होंने कहा, “फंडिंग से जुड़े पत्र में एल्गार परिषद का जिक्र है। एल्गार परिषद आयोजित करने में कई संगठन शामिल थे लेकिन सभी माओवादियों से नहीं जुड़े हुए हैं।’

 सुरेंद्र गडलिंग नक्सलियों का वकील

नक्सलवाद के अध्ययनकर्ताओं द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, नागपुर स्थित वकील सुरेंद्र गडलिंग नक्सलियों के वकील के तौर पर जाना जाता है। नक्सलियों के मामले चलाने के लिए वह जाना जाता है। महेश राऊत मूलतः गडचिरोली का है और फिलहाल नागपूर में रहता है। मुंबई के टाटा इन्स्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेस इस प्रतिष्ठित संस्था से वह शिक्षित है और वहां से निकलकर वह नक्सलियों के संपर्क में आने की आशंका है। इनके साथ ही रोना विल्सन मूलतः केरल की है और दिल्ली में नक्सली आंदोलन से संबंधित प्रा. साईबाबा की जिम्मेदारी संभालनेवारी नक्सली समर्थक के रूप में वह जानी जाती है।

सुधीर ढवले दलित कार्यकर्ता और मराठी पत्रिका विद्रोही के संपादक है। शोमा सेन नागपुर विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं और उनके पति तुषार क्रांति भट्टाचार्य को नक्सलियों से कथित जुड़ाव के लिए 2010 में नागपुर स्टेशन से गिरफ्तार किया गया था। महेश राउत का भी माओवादियों से जुड़ाव होने की बात कही जा रही है। केरल के निवासी रोना विल्सन (47) दिल्ली में रहते हैं और कमेटी फोर रिलीज ऑफ पोलिटिकल प्रिजनर्स से जुड़े हुए हैं।

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