अटल व्यक्तित्व के धनी अटल जी

राष्ट्रभक्ति, नव प्रफ़ुल्लित ऊर्जा सी शक्ति, उत्कृष्ट व्यक्तित्व, समभाव समावृत्ति सी दृष्टि, अटल जी के  गुणों के पर्यायों की शृंखला में मात्र प्रारंभ ही माना जाएगा। ऐसे महान व्यक्तित्व को अगर वर्तमान भारत का कर्णधार भी कहा जाए तो यह कदापि अतिशयोक्ति नहीं होगी। संसद में उनका बेबाकीपन, वाकपटुता एवं व्याख्यानों में सभी को समभाव से अचंभित व आकर्षित करने की कला का कोई सानी नहीं।
24 दिसंबर 1924 को ग्वालियर में जन्में अटल बिहारी वाजपेई का जीवन प्रेरक वृतांत की शृंखलाएं हैं जो हर भारतवासी को देशभक्ति के गौरव पथ पर चलने के लिए प्रेरित कर रही हैं। भारत रत्न से सुशोभित, वाक कौशल के धनी, अटल जी की पंक्तियां ‘हार नहीं मानूंगा रार नहीं ठानूंगा काल के कपाल पर लिखता ही जाता हूं’ मानो सजीव प्रतीत होती हैं।
एक दिन तमस छटेगा, कमल उगेगा की परिकल्पना मात्र एक सोच नहीं थी, वह इस कर्मठ व्यक्ति का संगठित, सुगठित, अनवरत परिश्रम था जो आज संपूर्ण राष्ट्र में कमल की छटा से अपनी लालिमा को बिखेर रहा है ।
चाहे पूरे विश्व पटल पर भारत को परमाणु शक्ति सम्पन्न शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में स्थापित करने का जुनून हो, या विश्व में पहली बार राष्ट्रभाषा हिंदी को संयुक्त राष्ट्र में गौरवान्वित होकर बोलना हो, सभी प्रसंगों में अटल शौर्य, अटल शील, अटल साहस एवं अटल विश्वास ही झलकता है। स्कूल चले हम का नारा हो या प्रधानमंत्री सड़क योजना, हर पहलू में देश के प्रति समर्पित इस व्यक्तित्व ने देश को गौरवान्वित ही किया है।
मात्र 13 दिन की सरकार से प्रथम गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री का 5 वर्ष पूर्ण करना कोई सामान्य घटना नहीं थी, काल मानो स्वयं घटना चक्र बन कर देश का भविष्य रच रहा था, जहाँ कभी सरकार ने बहुमत के सामने अपनी हार भी एक विश्वास के साथ स्वीकार की थी। किसने सोचा था कि कभी पूरा देश उन्हीं के समक्ष नत मस्तक होकर, राष्ट्र में पूर्ण बहुमत पाकर खड़ा होगा। परंतु इस व्यक्ति की परिकल्पना ने यह सुनिशित कर लिया था, जिस कारण ही पीछे उन प्रतिकूल परिस्थितियों से लड़कर विजय प्राप्त कर उनको अनुकूल परिस्थितियों में बदला जा सका। जिसके फलस्वरुप ही वर्तमान राज पाठ उदित हो सका ।
उनकी निर्णय शक्ति का तो मानो पूरा विश्व ही कायल रहा, चाहे पोकरण में एक साथ पांच परमाणु परीक्षण करना हो या फिर मात्र 13 दिन की सरकार बनने के बाद प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना हो, उन्होंने कभी भी अटल निर्णय लेने में संकोच नहीं किया जो आज के राजनीतिज्ञों के समक्ष एक अतुल्य उदाहरण है।
मात्र 16 वर्ष की आयु में अटल जी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का हिस्सा बने, जहां से उन्होंने राष्ट्रसेवा का सफर प्रारंभ किया एवं पूरे जीवनकाल के लिए संस्कार, वाक-कौशल, निडरता जैसे अनेक विशिष्ट गुणों को अंतर्निहित किया ।
चुंबकीय आकर्षण वाले व्यक्तित्व के धनी अटल जी ने जीवन में न केवल पक्ष को अपने गुणों से कायल किया, वरन विपक्ष को भी यदाकदा उनके गुणों का यशोगान करते हुए ही सुना गया। ऐसे कद्दावर व्यक्तित्व का परायण भारतवासियों के लिए  क्षति है। प्रभु से यही कामना है कि वे सभी को इस सर्वकालिक क्षति से उबरने की शक्ति दें व मार्गदर्शन करें।
– अमन अवस्थी

You may also like...

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

9 − seven =