ग्वालियर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा ने भारतीय परिवार व्यवस्था को सुदृढ़ करने का आह्वान करते हुए प्रस्ताव पारित किया, जिसमें कहा गया है कि भारतीय परिवार व्यवस्था हमारे समाज का मानवता के लिए अनमोल योगदान है. प्रतिनिधि सभा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह श्री भय्याजी जोशी ने वक्तव्य के माध्यम से आजाद हिन्द सरकार के 75 वर्ष पूर्ण होने पर देशभर में विविध कार्यक्रम आयोजित करने का आह्वान किया.
प्रतिनिधि सभा में पारित प्रस्ताव की जानकारी देते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबले ने बताया कि हमारी परिवार व्यवस्था मानवता के लिए अनमोल योगदान है. अपनी विशेषताओं के कारण हिन्दू परिवार व्यक्ति को राष्ट्र से जोड़ते हुए वसुधैव-कुटुम्बकम् तक ले जाने वाली यात्रा की आधारभूत इकाई है.
उन्होंने कहा कि अ.भा. प्रतिनिधि सभा का यह स्पष्ट मत है कि अपनी परिवार व्यवस्था को जीवंत तथा संस्कारक्षम बनाए रखने हेतु आज व्यापक एवं महती प्रयासों की आवश्यकता है. हम अपने दैनन्दिन व्यवहार व आचरण से यह सुनिश्चित करें कि हमारा परिवार जीवनमूल्यों को पुष्ट करने वाला, संस्कारित व परस्पर संबंधों को सुदृढ़ करने वाला हो. सपरिवार सामूहिक भोजन, भजन, उत्सवों का आयोजन व तीर्थाटन, मातृभाषा का उपयोग, स्वदेशी का आग्रह, पारिवारिक व सामाजिक परम्पराओं के संवर्धन व संरक्षण से परिवार सुखी व आनंदित होंगे. परिवार व समाज परस्पर पूरक हैं. समाज के प्रति दायित्वबोध निर्माण करने के लिए सामाजिक, धार्मिक व शैक्षणिक कार्यों हेतु दान देने की प्रवृत्ति को प्रोत्साहन एवं अभावग्रस्त व्यक्तियों के यथासंभव सहयोग के लिए तत्पर रहना हमारे परिवार का स्वभाव बने.
प्रस्ताव के अनुसार, “हमारी परिवार व्यवस्था की धुरी माँ होती है. मातृशक्ति का सम्मान करने का स्वभाव परिवार के प्रत्येक सदस्य में आना चाहिए. सामूहिक निर्णय हमारे परिवार की परंपरा बननी चाहिए. परिवार के सदस्यों में अधिकारों की जगह कर्तव्यों पर चर्चा होनी चाहिए. प्रत्येक के कर्तव्य-पालन में ही दूसरे के अधिकार निहित हैं. कालक्रम से अपने समाज में कुछ विकृतियां व जड़ताएं समाविष्ट हो गई हैं. दहेज, छुआछूत व ऊँच-नीच, बढ़ते दिखावे एवं अनावश्यक व्यय, अंधविश्वास आदि दोष हमारे समाज के सर्वांगीण विकास की गति में अवरोध उत्पन्न कर रहे हैं. प्रतिनिधि सभा सम्पूर्ण समाज से यह अनुरोध करती है कि अपने परिवार से प्रांरभ कर, इन कुरीतियों व दोषों को जड़मूल से समाप्त कर एक संस्कारित एवं समरस समाज के निर्माण की दिशा में कार्य करें.
समाज निर्माण की दिशा में पूज्य साधु-सन्तों एवं धार्मिक-सामाजिक-शैक्षणिक-वैचारिक संस्थाओं की सदैव महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है. प्रतिनिधि सभा इन सबसे भी अनुरोध करती है कि वे परिस्थिति की गंभीरता को समझकर परिवार संस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए हर सम्भव प्रयास करें. प्रसार के विभिन्न माध्यम समाज को संस्कारित करने का एक प्रभावी साधन हो सकते हैं. इन क्षेत्रों से सम्बंधित विभिन्न विधाओं के महानुभावों से यह सभा निवेदन करती है कि वे सकारात्मक संदेश देने वाली फिल्मों व विविध कार्यक्रमों का निर्माण कर परिवार व्यवस्था की जड़ों को मजबूत करते हुए नई पीढ़ी को उज्ज्वल भविष्य की ओर ले जाने में योगदान करें.” उन्होंने कहा कि प्रतिनिधि सभा सभी सरकारों से भी अनुरोध करती है कि वे शिक्षा-नीति बनाने से लेकर परिवार सम्बंधी कानूनों का निर्माण करते समय परिवार व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने में अपना रचनात्मक योगदान दें. परिस्थितिजन्य विवशताओं के कारण एकल परिवारों में रहने के लिए बाध्य हो रहे व्यक्ति भी अपने मूल परिवार के साथ सजीव संपर्क रखते हुए निश्चित अंतराल पर कुछ समय सामूहिक रूप से अवश्य बिताएँ.
वक्तव्य – युवा पीढ़ी तक पहुंचाना है आजाद हिन्द सरकार का इतिहास
प्रतिनिधि सभा में सरकार्यवाह जी के वक्तव्य के बारे में श्री दत्तात्रेय ने कहा कि 21 अक्टूबर 1943 को नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा निर्वासन में आजाद हिन्द सरकार का गठन किया था जिसके 75 वर्ष पूर्ण हुए हैं. भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति में इस घटना का एक महत्वपूर्ण स्थान रहा है. दिसम्बर 1943 में जापान की नौसेना द्वारा जीते गए अण्डमान तथा निकोबार द्वीप समूह आजाद हिन्द सरकार को सौंप दिए गए थे. नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने इन द्वीप समूहों के नाम शहीद व स्वराज रखकर तथा वहां 30 दिसम्बर 1943 को राष्ट्रध्वज फहराकर अपना स्वतंत्र क्षेत्राधिकार घोषित किया था. इनके कारण भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक विधिसम्मत सरकार के रूप में सुपुष्ट आधार प्राप्त हुआ था. इन सारे कार्यों से अंग्रेजी सेना के भारतीय सैनिकों तथा आम जनता में देशभक्ति की लहर उठी, जिससे स्वाधीनता संग्राम को एक निर्णायक मोड़ प्राप्त हुआ.
वक्तव्य के अनुसार, “इस ऐतिहासिक घटनाचक्र की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर, भारत के स्वतंत्रता संग्राम में आजाद हिन्द सरकार, नेताजी सुभाष चंद्र बोस तथा आजाद हिन्द सेना के हजारों सैनिकों के योगदान का हम कृतज्ञतापूर्वक स्मरण करते हैं. इस प्रेरणादायी तथा गौरवशाली इतिहास को देश के सभी नागरिकों, विशेषकर युवा पीढ़ी तक पहुँचाने हेतु विविध कार्यक्रमों की योजना करें यह सभी से आह्वान है.”