उपहार के रूप में राम से जुड़ी वस्तुएं देने का प्रचलन बढ़ा
राम मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद से देश का वातावरण राममय है। उपहार के रूप में राम से जुड़ी वस्तुएं देने का प्रचलन बढ़ा हैं। जन मानस पर इसका एक अद्भुत मनोवैज्ञानिक प्रभाव देखा जा रहा है। सबसे महत्वपूर्ण बात है कि इसका असर बाजारों पर भी पड़ रहा है।
अयोध्या में रामलला की प्राण- प्रतिष्ठा के तेजी से बढ़ी मांग
जयपुर। ”राम मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद से देश का वातावरण राममय है। जन मानस पर इसका एक अद्भुत मनोवैज्ञानिक प्रभाव देखा जा रहा है। सबसे महत्वपूर्ण बात है कि इसका असर बाजारों पर भी पड़ रहा है। इसे ‘आफ्टर राम मंदिर इफेक्ट’ कहा जा सकता है।” जयपुर व्यापार मंडल के अध्यक्ष ललित सिंह सांचौरा लंबे समय से व्यापार की दुनिया से जुड़े हुए हैं।
वे कहते हैं कि अयोध्या में रामलला की प्राण- प्रतिष्ठा के बाद देश में जहां भक्ति भाव और श्रद्धा का ग्राफ तेजी से बढ़ा है, वहीं इसका असर बाजार और बिकने वाले उत्पादों पर भी पड़ा है। इसका उदाहरण वे उत्पाद हैं, जो भारी मांग के चलते बाजारों में अंटे पड़े हैं।
इनमें श्रीराम नाम का पटका, बैज, भगवा ध्वज, हनुमान जी की तस्वीर, रामदरबार आदि प्रमुख हैं। इतना ही नहीं सबसे बड़ा बदलाव यह है कि, लोग बाजार में ‘मोमेंटो’ की बजाय राम चरित्र से जुड़ा साहित्य, साजोसामान, तस्वीरें व अन्य सामग्री की मांग कर रहे हैं।
सांचौरा कहते हैं कि इससे बड़ा बदलाव और क्या हो सकता है? किसी कार्यक्रम में मोमेंटो देना बरसों से एक परंपरा चली आ रही है, लेकिन आज अपने हाथों में राम मंदिर, अयोध्या की प्रतिकृति या अन्य कोई भी रामनाम से जुड़ी वस्तु पाकर लोग बेहद प्रसन्न हो रहे हैं।
बात जब आम व्यक्ति की प्रसन्नता की है, तो इसका एक उदाहरण हाईकोर्ट के एडवोकेट अभिषेक शर्मा देते हैं , ”मैंने और मेरे परिवार ने मिलकर तय किया है कि घर व परिवार में किसी का भी जन्म दिवस हो या फिर विवाह वर्षगांठ, उपहार स्वरूप रामनाम से जुड़े उत्पाद ही भेंट करेंगे।
हाल ही में उन्होंने अपने परिवार के एक सदस्य की विवाह वर्षगांठ के अवसर पर रामलला की तस्वीर भेंट की है। जिसे पाकर सब भावुक हो उठे। बकौल अभिषेक, यही हमारी संस्कृति रही है, जब भेंट पाकर छोटा या बड़े होने का भाव नहीं आता बल्कि अपनेपन से रिश्तों की मिठास बढ़ जाती है। अभिषेक ने इस अवसर पर सभी अतिथियों को रामलला का कैलेंडर भी भेंट किया।
ऐसा नहीं है कि भारतीय बाजारों में इससे पहले रामनाम संबंधी उत्पाद उपलब्ध नहीं थे, लेकिन अयोध्या में राम मंदिर बनने के बाद से रामनाम से सम्बंधित सामग्री व फैंसी उत्पादों का चलन बढ़ गया है।
व्यापार मंडल की मानें तो प्रतिदिन कितनी बिक्री हो रही है इस संबंध में सभी थोक व्यापारियों से आंकड़ा जुटाया जा रहा है। खैर, यह तो ऑफ लाइन मार्केट की बात है। रामनाम से जुड़े उत्पादों की एक बड़ी रेंज ऑनलाइन भी उपलब्ध है।
जयपुर की बात करें तो यहॉं के परकोटा क्षेत्र में रामनाम की वस्तुएं बेचने वाले शंकर बताते हैं कि, अभी तो यह हाल है कि जैसी लहर बाजार की है, वैसी ही सामग्री बेच रहे हैं। इस समय लोगों में रामनाम से जुड़े उत्पादों के प्रति गहरा प्रेम और आस्था है।
हमारी दुकान पर 5 से लेकर 500 रुपए तक के रामनाम लिखे उत्पाद मौजूद हैं। ये उत्पाद विशेषकर युवाओं को ध्यान में रखकर तैयार किए गए हैं। जैसे बाइक और कार पर लगाने के लिए झंडियां, टी- शर्ट और बैज। इनकी मांग धार्मिक आयोजनों के समय बढ़ जाती है। लोग अब घरेलू कार्यक्रमों जैसे, विवाह, जन्मदिवस या रिटायरमेंट के अवसरों पर राममंदिर की तस्वीर, उसकी प्रतिकृति, टी- शर्ट, रामलला की मूर्ति आदि की मांग करने लगे हैं।
यदि युवाओं की बात करें तो उनमें भी रामनाम की टी- शर्ट, की- चेन, साड़ी व सूट खरीदने के प्रति अधिक उत्साह दिखाई दे रहा है। बैज से लेकर बड़ी ध्वजा तक लोग खरीद रहे हैं।
मेडिकल हेल्थ विभाग से रिटायर हुई उषा शर्मा अपना एक रोचक अनुभव सुनाती हैं, मैंने कभी नहीं सोचा था कि, प्रभु श्रीराम की वो तस्वीर मुझे कोई भेंट कर जाएगा, जिसे सोशल मीडिया पर रोजाना किसी न किसी की पोस्ट पर देखती हूं।
मैं उस समय आश्चर्यचकित रह गई, जब मेरे रिटायर होने पर मेरे स्टाफ के साथी मुझे रामलला की वह तस्वीर भेंट कर गए। इससे अधिक चमत्कार मेरे लिए तो कुछ नहीं हो सकता। ये बताते हुए उषा भावुक हो उठीं।
शादी-ब्याह में भी बढ़ी मांग
अपने मित्रों, सगे संबंधियों और ग्राहकों को महंगे गिफ्ट के तौर पर राम मंदिर के सोने-चांदी के माडल भेंट किए जा रहे हैं। अभी तक रिटेल ज्वेलरी की दुकानों पर एक-दो राम दरबार, गाय, नाग-नागिन आदि सेंपल के तौर पर होते थे, जो अक्सर पूजा में उपयोग होते थे।
कोई नया घर, कार्यालय या फैक्ट्री का उद्घाटन करता था तो मंदिर में स्थापित करता था। ग्राहक के आर्डर पर नए पीस बनते थे। अब राम मंदिर को लेकर क्रेज बढ़ा है। हर कोई इसी को मांग रहा है। इसके बारे में पूछ रहा है। ऐसा नहीं है कि सिर्फ 22 जनवरी तक राम मंदिर माडल की मांग रही। इससे जयपुर के विक्रेता भी काफी उत्साहित हैं। उन्हें भरोसा है कि इसका चलन बढ़ने से मांग में तेजी आएगी।
राम मंदिर की प्रतिकृति
वहीं बाजार में सुंदर और विशाल राम मंदिर की प्रतिकृति पर आधारित कई वस्तुएं आ गई हैं। लकड़ी और स्टोन के बाद अब सोने-चांदी में राम मंदिर मॉडल आ गए हैं। ज्वेलर्स ने ग्राहकों का रुझान और बाजार में मांग के आधार पर शुद्ध सोने और चांदी के पानी से तैयार हुए कीमती मॉडल लॉन्च कर दिए हैं। बाजार में चांदी के सिक्कों से लेकर अंगूठी में भी राम मंदिर का मॉडल आ गया है।
चांदी के सिक्के पर राम मंदिर
बाजार में 10 ग्राम से लेकर 50 ग्राम तक के वजन वाले चांदी के सिक्के भी उपलब्ध हैं। एक ओर श्रीराम का चित्रण, नींव और प्राण प्रतिष्ठा की तारीख अंकित है तो दूसरी ओर भव्य राम मंदिर उकेरा हुआ है। चांदी के राम दरबार 100 ग्राम से 250 ग्राम में उपलब्ध हैं। इसी तरह होलोग्राम वाली सोने की हनुमान प्रतिमा 3 से 5 ग्राम में है, जिसकी कीमत 20 से 35 हजार रुपए तक है।
रामनाम से जुड़े उत्पादों की बिक्री का एक बड़ा कारण धार्मिक कार्यक्रमों की संख्या का अचानक से बढ़ जाना भी है। इनमें शोभा यात्राएं, राम पैदल यात्रा, राम रैली, राम फेरी, स्कूटर और कार रैली के साथ ही राम चौकी समेत कई तरह के आयोजन शामिल हैं। इतना ही नहीं गली- मोहल्लों में लोग अपने छोटे- छोटे प्रयासों से ही कहीं भजन संध्या, तो कहीं मंदिर मरम्मत व साफ- सफाई जैसे कार्यों में अपनी भागीदारी निभा रहे हैं। ऐसे में प्रोत्साहन के तौर पर रामनाम से जुड़ी चीजों को उपहार स्वरूप भेंट करना अधिक श्रेयस्कर मान रहे हैं।
यदि मांग ऐसे ही बढ़ती रही तो राम मंदिर से जुड़े सामानों की बिक्री जयपुर की अर्थव्यवस्था को सहायता पहुंचाने का काम करेगी। तब यह कहना गलत नहीं होगा कि रामनाम से जुड़े उत्पादों से जयपुर की अर्थव्यवस्था को एक बूस्टर डोज मिली है।
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