नागपुर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि मनुष्य में सत्व, राजस एवं तमस, ऐसे तीन गुण वास करते हैं. हम जब उपासना करते हैं, उस समय निश्चित ही हमारे सत्व गुण बढ़ते हैं, शक्ति में वृद्धि होती है. श्रीराम सभी सद्गगुणों के प्रतीक हैं. तमो गुण का नाश कर सत्वगुण का स्वीकार करने से सभी क्षेत्रों में यश प्राप्त होता है. किसी भी प्रकार का युद्ध हो, उसमें सहभाग लेते समय शुद्ध चरित्र आवश्यक है. श्रीराम के इसी शुद्ध चरित्र के कारण वे विजयी हुए और तमो गुण के चलते रावण पराजित हुआ. आसुरी शक्तियों का सदा अंत होता है.
उन्होंने कहा कि संघ के द्वितीय सरसंघचालक श्रीगुरुजी ने सत्कार्य में अपना जीवन व्यतीत किया. इसी वजह से आज हमें यह संकल्प देखने और प्रत्यक्ष करने को मिल रहा है.
डॉ. मोहन भागवत जी शनिवार को धामणगाव तहसील के मंगरूळ दत्त स्थित मंगला माता देवस्थान पहुंचे. इस संस्थान को माहूरका उपशक्तिपीठ माना जाता है. यहां संघ के द्वितीय सरसंघचालक श्रीगुरुजी द्वारा इसी मंदिर में आने के प्रसंग को ८१ वर्ष पूर्ण हुए हैं. श्रीगुरुजी जब यहां आए थे, तो एक छोटी सी कुटिया में यह मंदिर था. अब इसे भव्य-दिव्य स्वरूप प्राप्त हो चुका है.
सरसंघचालक जी ने कहा कि शील न हो तो शक्ति नहीं आती और शक्ति के बिना संकल्प पूरा नहीं हो सकता. जहां शील है, वहां संकल्प पूर्ण होता ही है और विवेक हो तो सभी बातें सहज हो जाती हैं. जहां अहंकार आता है, वहां कुछ भी संभव नहीं होता. रावण महापराक्रमी था, महाबलवान था, सभी गुणों से संपन्न था. किंतु, रावण के भीतर अहंकार आ जाने से उसे पराजय स्वीकारनी पड़ी. दूसरी ओर सर्व शक्तिमान श्रीराम सदा विवेकपूर्ण एवं अहंकार मुक्त होने से उन्होंने रावण को मात दी.
इस मंगलमय अवसर पर सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने मंगला माता की आरती की. मंगरूळ दत्त स्थित श्री मंगला माता मंदिर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक परमपूज्य श्री माधव सदाशिवराव गोळवलकर (श्रीगुरुजी) का वर्ष १९४२ में आगमन हुआ था. उस प्रसंग के ८१ वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में मंगला माता मंदिर के १०० साधकों द्वारा श्री गुरुचरित्र पारायण समारोह, घोरकष्टोद्धरण स्त्रोत के एक हजार पाठ का अनुष्ठान, मंगरूळ के पुरोहितों द्वारा श्री दुर्गा सप्तशती के ११०० पाठ तथा ५००० भक्तों द्वारा घर-घर श्री हनुमान चालीसा उपासना अभियान इत्यादि विविध धार्मिक कार्यक्रमों को आयोजन किया गया. अभियान का समापन समारोह सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी की प्रमुख उपस्थिति में हुआ. इस अवसर पर मंच पर जिला संघचालक विपिन काकडे और मंगला माता देवस्थान संस्था के अध्यक्ष प्रभाकर खानझोडे उपस्थित रहे.
प्रभाकर खानझोडे ने मंदिर तथा मंगरूळ का इतिहास बताया. मंगरूळ जैसे छोटे गांव से संघ के लिए ४ प्रचारक निकले. मंगला माता मंदिर के विकास में संघ के कार्यकर्ताओं के योगदान का स्मरण किया. मंदिर के मुख्य पुजारी मोहन देव ने संकल्प वाचन किया.
कार्यक्रम में मंगरूळ तथा परिसर से महिला व पुरुषों की बड़ी संख्या में उपस्थिति रही. अनेक संत, महंत भी उपस्थित रहे. कार्यक्रम का संचालन वैभव पोद्दार तथा धन्यवाद ज्ञापन सचिव रवींद्र देशपांडे ने किया.