कला देश सेवा का माध्यम है – डॉ. मोहन भागवत

जयपुर (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि कला यह व्यक्तिगत नहीं होती, अपितु वह देश सेवा का एक माध्यम है. अपनी प्रगति के कारण कहीं देश की उन्नति का लक्ष्य धूमिल न हो जाए, इसके प्रति हमें सजग रहना चाहिये. उन्होंने कहा कि केवल गुणवान होना उपयोगी नहीं. बल्कि अपने गुणों के आधार पर, अपने कर्तृत्व से देश को और अच्छा कैसे बनाया जाए, इसके लिये हम सबको प्रयत्नशील रहना आवश्यक है. कला के माध्यम से जो अभिव्यक्त होता है, वह सीधा हृदय में उतर जाता है जो अधिक परिणामकारक होता है.

सरसंघचालक जी 24 अप्रैल को मुंबई में मास्टर दीनानाथ स्मृति पुरस्कार वितरण समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे. पुलवामा आतंकी हमले के बलिदानी सैनिकों के बारे में डॉ. भागवत ने कहा कि सीमा पर हमारे वीर सैनिक हिम्मत के साथ डटकर खड़े रहते हैं. उन्हीं के कारण हम चैन की सांस ले रहे हैं. आपातकाल एवं संकट के समय सैनिक अपने प्राण अर्पण कर देते हैं.

भगवान श्रीकृष्ण ने मुक्ति किसे मिलती है, इसका उत्तर देते हुए भगवद्गीता में कहा है – संन्यासी और सीमा पर अपने प्राण न्यौछावर करने वाले सैनिक को मुक्ति मिलती है. अपने सीने पर गोली झेलने वाले सैनिकों को ईश्वर प्राप्ति, स्वर्ग प्राप्ति होती है, इसमें कोई संदेह नहीं है.

दीनानाथ मंगेशकर जी के कर्तृत्व का उल्लेख करते हुए कहा कि मा. दीनानाथ को ईश्वर ने कलाक्षेत्र के लिये ही बनाया था. परंतु, ईश्वर ने जो दिया, उसका उपयोग उन्होंने देशहित के लिये किया. उनके नाट्यों में हमें देशभक्ति और देशसेवा का दर्शन होता है. परतंत्रता के दिनों में वह आवश्यक था. उनके नाट्य गीत, गाने की पद्धति समाज को कार्यप्रवृत्त करती थी, समाज में उपयुक्त वीर रस प्रवाहित करती थी. मा. दीनानाथ जी की परंपरा मंगेशकर परिवार ने कायम रखी है.

संगीत, नाट्य, चित्रपट, साहित्य ऐसे विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य करने वाले व्यक्तियों को मंगेशकर परिवार के माध्यम से मास्टर दीनानाथ मंगेशकर स्मृति पुरस्कार प्रदान किया जाता है. सम्मान समारोह में बाबासाहेब पुरंदरे भी उपस्थित रहे. छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा देकर सरसंघचालक जी ने उन्हें सम्मानित किया. सीआरपीएफ के डीजी विजय कुमार सम्मान समारोह के अध्यक्ष थे.

मा. दीनानाथ विशेष पुरस्कार से पटकथा लेखक सलीम खान, अभिनेत्री हेलन और निर्देशक मधूर भांडारकर को सम्मानित किया गया. मा. दीनानाथ पुरस्कार से भरतनाट्यम की प्रसिद्ध कलाकार डॉ. सुचेता भिड़े, मोहन वाघ पुरस्कार से भद्रकाली प्रोडक्शन के प्रसाद कांबली, आनंदमयी पुरस्कार से पं. सुरेश तलवलकर के तालयोगी आश्रम (संस्था को) एवं वाग्विलासिनी पुरस्कार से मराठी कवि वसंत आबाजी डहाके को सम्मानित किया गया.

सीआरपीएफ को दी एक करोड़ रुपये की राशि

लता मंगेशकर की ओर से पुलवामा हमले में बलिदान हुए सैनिकों के परिजनों की सहायता के लिये एक करोड़ रुपए की राशि सीआरपीएफ डीजी को दी गई. अस्वस्थता के कारण लता मंगेशकर जी समारोह में उपस्थित नहीं थीं. उनकी बहन उषा मंगेशकर ने राशि विजय कुमार जी को सौंपी. अन्य कलाकारों व सहयोगियों ने 18 लाख रुपये की राशि सीआरपीएफ को दी.

डीजी विजय कुमार ने कहा कि पुलवामा हमले के पश्चात, भारत के वीर – एप व वेबसाइट के माध्यम से सहयोग निधि भेजी है. और 225 करोड़ रुपये की सहयोग राशि प्राप्त हो चुकी है.

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