जयपुर प्रांत के सभी 20 जिलों में खेल संगम सम्पन्न
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने एक बार अपने भाषण में कहा था कि संघ एक ऐसे हिंदू समाज की कल्पना करता है जिसमें जातियों का भेदभाव न हो। जहां जातियों के चलते गांवों में अलग-अलग कुएं, मंदिर या श्मशान ना हों।संघ के इस मिशन को पूरा करने के लिए संघ का प्रत्येक स्वयंसेवक कृत संकल्पित है। इसके लिए यहॉं सामाजिक समरसता के अनेक कार्यक्रम चलाए जाते हैं। इसी क्रम में इस बार जयपुर प्रांत के सभी बीस जिलों में खेल संगम का आयोजन हुआ। खेल लोगों में स्वस्थ स्पर्धा का भाव जगाते हैं। खेल एक ऐसा माध्यम हैं जिनके द्वारा छुआछूत तथा जातिभेद को दूर किया जा सकता है। संघ देश के पारम्परिक खेलों को बढ़ावा देता है। खेल संगम में कबड्डी, वलय भेद, मंडल खो तथा गेंदमार जैसे खेल खेले गए। विजेता टीमों को पुरस्कृत भी किया गया। यह आयोजन कुल 210 स्थानों पर आयोजित हुआ। 378 शाखाओं की सहभागिता से 386 टीमों में कुल 6367 लोगों ने हिस्सा लिया।

खेल संगम

खेल संगम