भारतीय कला की धमक विदेशों में भी सुनाई देने लगी है. विशेषकर मिथिला पेंटिंग (मधुबनी पेंटिंग) से प्रभावित होकर जापान और कनाडा जैसे देशों ने भी रुचि दिखाई है. और इन्होंने मिथिला पेंटिंग करने वाले कलाकारों (चित्रकार) की मांग की है. जापान ने इसके लिये आधिकारिक रूप से पत्र लिखकर भारत से मांग भी कर दी है. भारत सरकार ने जापान के अनुरोध को स्वीकार कर लिया है. यदि आने वाले समय में जापान में विभिन्न स्थानों पर तथा ट्रेनों पर मिथिला पेंटिंग देखने को मिले तो चौंकने आवश्यकता नहीं. हां, गर्व अवश्य होना चाहिये.
इसका खुलासा केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल के एक ट्विट से हुआ. केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने लिखा कि भारत की मिथिला पेंटिंग्स जब ट्रेन पर उकेरी गई तो इसने देश के साथ विदेशियों को भी अपनी सुंदरता से प्रभावित किया. जापान ने मिथिला पेंटिंग्स की ख़ूबसूरती को देखकर इस कला के चित्रकारों की टीम भेजने का अनुरोध किया है. भारत सरकार ने भी मित्र राष्ट्र जापान के इस अनुरोध को सहर्ष स्वीकार कर लिया है.
जापान के बाद अब कनाडा ने भी मिथिला पेंटिंग के चित्रकारों की एक टीम की माँग की है, जिससे वहाँ की ट्रेनों पर भी मिथिला पेंटिंग को उकेरा जा सके. कनाडा रेलवे बोर्ड के निदेशक ने भारत सरकार को भेजे अपने अनुरोध पत्र में कहा –
भारत में कई ट्रेनों पर पहले ही मिथिला पेंटिंग उकेरी जा चुकी है और वो लोगों को काफ़ी पसंद भी आ रही हैं. संयुक्त राष्ट्र संघ (UN) भी मिथिला पेंटिंग वाली ट्रेनों की प्रशंसा कर चुका है. भारतीय रेलवे ने कहा है कि जापान और कनाडा भेजने के लिए मिथिला पेंटिंग के कलाकारों का चयन किया जा रहा है और जल्द ही टीम तैयार कर उन देशों में भेजी जाएगी. मिथिला पेंटिंग को मधुबनी पेंटिंग भी कहते हैं.
यह सुखद आश्चर्य होगा कि जापान के निगाता में एक मिथिला म्यूज़ियम है, जिसमें मिथिला पेंटिंग की एक अलग ही दुनिया बसी हुई है. 15 हज़ार से भी ज़्यादा मिथिला पेंटिंग्स के साथ सुशोभित यह म्यूज़ियम भारत से मिथिला कलाकारों को आमंत्रित करता रहा है.