ज्योतिष हमारी प्राचीन विद्या—राजेन्द्रकुमार जी

जयपुर। धर्म जागरण समन्वय विभाग, जयपुर प्रांत की ओर से 6 दिसम्बर को जयपुर की एमआई रोड स्थित मोहनलाला सुखाडिया सभागार में ‘ज्योतिष का भारतीय संस्कृति एवं धर्म संरक्षण में योगदान’ विषय पर संगोष्ठी का आयोजित हुआ। संगोष्ठी के मुख्य वक्ता रा.स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह धर्मजागरण प्रमुख श्री राजेन्द्रकुमार जी थे।
संगोष्ठी को संबोधित करते हुए श्री राजेन्द्रकुमार जी ने कहा कि ज्योतिष हमारे देश की प्राचीन विद्या है। ज्योतिषानुसार बताये सुझावों को अपनकार व्यक्ति सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त कर सकता है। हमारे पुरखों ने ज्योतिष के आधार पर ही देशी महीनों की रचना की जो पूर्ण वैज्ञानिक है। हमारे पुरखों ने प्राचीन काल से ही कोई भी काम करने से पहले मुहुर्त और शुभ—अशुभ का ध्यान रखा है। मकान बनाने, विवाह के लिए गुण—दोष देखने आदि कई कार्यों में ज्योतिषचार्यों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
उन्होंने कहा कि देश और दुनिया में ज्योतिष की महत्ता बढी है। इसका अनुमान इससे लगा सकते है। इस साल पहले की तुलना में ज्यादा लोग गया जी में पिंडदान करने पहुंचे है। पिंडदान करनेवालों में भारतीयों के साथ विदेशियों की संख्या भी काफी थी। ज्योतिष के अनुसार दुर्घटना से मरे व्यक्ति का पिंडदान और नारायण पूजा करने से सम्बन्धि परिवार को कष्टों से छुटकारा मिलता है।

भ्रुण हत्या से कष्ट
उन्होंने कहा कि जो गर्भ में भ्रुण हत्या कर देते है उस परिवार को अनेक कष्ट झेलने पडते है। उन्होंने उदाहरण दिया कि एक परिवार के मुखिया ने भ्रुण हत्या की जिसके चलते उसे कष्ट झेलने पडे। खुद पांच साल कोमा में रहा। बाद में उसकी मौत भी हुई। उसकी पत्नी केंसर से पीडित हो गई। उनके पुत्र ने 0e1735e2-bb8b-414a-9e4f-4bb3d2c9a987जब ज्योतिषाचार्य से कष्ट का कारण पूछा तो भ्रुणहत्या कारण बताया। ज्योतिष द्वारा बताये उपाय करने पर केंसर पीडिता को तो आराम है ही परिवारजन भी पहले से अच्छा महसूस कर रहे है।

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