अजमेर विस्फोट मामला, स्वामी असीमानंद बरी
विसके जयपुर।
अजमेर की में 2007 हुए बम विस्फोट मामले में बुधवार को आए फैसले में आरोपी बनाए गए स्वामी असीमान्द को तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर आरोपी बनाया था। उस समय भी असीमानन्द के खिलाफ कोई सबूत नहीं थे। भगवा आतंक की कूट रचना निर्मूल सिद्ध हुई। इसके साथ ही स्वामी असीमानन्द जैसे संत पर विगत सरकार द्वारा लगाए गए मिथ्या आरोप अब झूठे निकले। देश में सनातन हिन्दू समाज में इस विषय पर हर्ष की लहर है। जांच एजेंसियां इस मामले में अदालत में भी पुख्ता सबूत पेश नहीं कर पाई। यह बात एनआईए अदालत के फैसले पर क्षेत्रीय संघचालक डॉ. भगवती प्रकाश शर्मा ने कही। स्वामी असीमानन्द को निर्दोष दोषी माना गया है। इनक साथ नौ अन्य को भी अदालत ने बरी कर दिया। अदालत सजा का ऐलान कोर्ट 16 मार्च को करेगी।
डॉ. शर्मा ने कहा कि कुछ लोगों ने अजमेर और हैदराबाद में ब्लास्ट किए थे। एनआईए की ओर से इस मामले में करीब 14 लोगों के खिलाफ चार्जशीट पेश की गई थी। इनमें से स्वामी असीमानंद, चंद्रशेखर लेवे, लोकेश शर्मा, मुकेश वसानी, हर्षद भरत, मोहनलाल भरतेश्वर, संदीप डेंगे, रामचंद्र, सुरेश और मेहुल को बरी किया गया है।
राजस्थान क्षेत्र के संघचालक माननीय भगवती प्रसाद जी शर्मा ने बताया की स्वामी असीमानन्द जी को अजमेर बम धमाको में बरी करने के न्यायालय के निर्णय का हम स्वागत करते हैं। न्यायालय का निर्णय आने का बाद उन लोगो को करारा जवाब मिला है जो हिन्दू जीवन पद्धति को आतंकवाद का जामा पहनाना चाहते थे। पूर्ववर्ती सरकार ने भी भगवा आतंकवाद का नाम देकर आतंकवाद को नए सिरे से परिभाषित किया व देश के लोगो को गुमराह करने का कार्य किया। इस तरह की ताकते एक तरफ तो आतंकवाद का धर्म नहीं होने का दावा करती है और दूसरी और हिन्दू सन्तों को फँसाने का कार्य कर भगवा आतंकवाद को परिभाषित करती हैं। ये ताकतें देश, समाज व संस्कृति को तोड़ना चाहती हैं।
आभार
विश्व संवाद केंद्र उदयपुर
(चित्तोड़ प्रांत) राजस्थान