विसंके जयपुर। तृतीय हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा मेला का शुभारम्भ गुरूवार को जयपुर के एस.एम.एस इन्वेस्टमेन्ट ग्राउण्ड पर पूज्य संत श्री जी महाराज श्री श्री 1008 श्री श्यामषरण देवाचार्य जी महाराज, सलेमाबाद, साध्वी विजयाउर्मिल जी के करकमलो से हुआ। संतो ने दीप प्रज्जवलन कर शाम 4 बजे पांच दिवसीय मेले का उद्द्याटन हुआ।
2009 में मात्र 30 संस्थाओं के साथ चैन्नई में पहले हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा मेला का आयोजन किया गया था। आज देश के 12 प्रान्तों में 1200 से अधिक संस्थान भाग लेते है।
मेले का उद्देश्य प्रकृति, परिवार और देश के प्रति अपने लोगों को उनके दायित्व का भान कराते हुए, महिलाआें का सम्मान, माता-पिता का सम्मान, गुरूओं का आदर है। इस मेले में 166 संस्थानों का प्रतिनिध्व इस बार है। साथ में 58 मन्दिर और 117 विकास समितियां भी इस मेले में सहभागी है।
मेले के उद्द्याटन पर निम्बार्कचार्य जी ने कहा की यह मेला सम्पूर्ण संस्कृति का दर्शन है। हमें हमारी सनातन संस्कृति का गौरव होना चाहिए। आज भारत का युवा पाश्चात्य संस्कृति में डूब रहा है। किन्तु विदेशी आध्यात्म और चिर शान्ति के लिए भारत में आ रहे है। भारत आध्यात्म की शिक्षा देने वाला है। हम अनादि संस्कृति के अनुवाहक है। अपने गौरव के कारण ही भारत विश्व गुरू कहलाता है। उन्होनें कहा कि यह मेला उन अज्ञानी व्यक्तियों पर कुठाराघात है, जो कहते है हिन्दू सेवा नहीं करता।
मंच पर रहे उपस्थित
पूज्य संतो के साथ उद्योगपति किशोर रूंगटा, डॉ. एम. एल. स्वर्णकार, सुभाष बाफना, के.जी.के. के नवरतन कोठारी, आर्य कॉलेज के अनुराग अग्रवाल, समाज सेवी नरेन्द्र कन्दोई, एस.डी. शर्मा, याज्ञवल्कय कॉलेज के महेन्द्र सेठी, जे.ई.सी. कॉलेज के निदेशक अमित अग्रवाल, एच.एच.एस. की चैन्नई से राजलक्ष्मी जी उपस्थित थे। सचिव सोमकान्त ने प्रस्तावना रखते हुए मेले की जानकारी दी। डॉ. सुधीर भार्गव ने कार्यक्रम का संचालन किया।
मेले के मुख्य आकर्षण
अक्षरधाम मन्दिर गोर्वधन पर्वत धारण किए भगवान श्रीकृष्ण, ब्रह्मकुमारी आश्रम की नौ देवियों की झांकियां, दादी नानी का घर, गंगा दर्शन, सनातन बोलता वृक्ष, विज्ञान प्रर्दशनी, सेवा कार्यो को दर्षाते अनेक संस्थान इस मेले का मुख्य आकर्षण का केन्द्र है।