जयपुर (विसंकें). क्रांतिवीर सरदारसिंह राणा सेवा ट्रस्ट द्वारा निर्मित वेबसाईट का लोकार्पण राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने किया. इस अवसर पर उन्होंने कहा कि आज पुण्य स्मरण का एक सुंदर अवसर प्राप्त हुआ है. हमारे देश की स्वतंत्रता के लिए जिन लोगों ने किसी न किसी रूप से प्रयत्न किया है, उनका स्मरण करना ही पुण्य स्मरण है. लेकिन हम उन्हें भूल से गए हैं. स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए जिसको जो ठीक लगा, उस प्रकार से प्रयत्न किया. कुछ लोगों ने राजनैतिक जागृति लाने का कार्य किया, कुछ ने देश में विद्यमान कुरीतियों को हटाने के लिए कार्य किया. अपने मूल की और वापस जाना चाहिए, इस दिशा में भी प्रयत्न हुए तथा कुछ लोगों ने जो प्रयास 1857 में किया गया था, उसी प्रकार का प्रयास फिर से कर अंग्रेजों को भगा देने का प्रयास किया. इस प्रकार 4 प्रकार से हमारे यहाँ काम हुआ, लेकिन कुछ ऐसा हो गया कि जो जानकारी मिलती है वो बताती है कि एक ही रास्ता है. शास्त्राचार के माध्यम से स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए प्रयत्नशील लोगों की संख्या भी कम नहीं थी. अनेक क्रांतिकारियों ने अपने प्राणों का बलिदान दिया, अगणित कष्ट सहे. उन सभी क्रांतिकारियों के परिवारों के माध्यम से उनकी स्मृति मिलती रहती है.
हमने स्वतंत्रता प्राप्त की. लेकिन हमें विचार करना चाहिये कि हमने वास्तव में क्या प्राप्त किया. पहले यह कहा जाता था कि सारे दुःखों का कारण अंग्रेज हैं, उनके चले जाने से सब ठीक हो जाएगा. लेकिन अनुभव यह है कि मात्र अंग्रेजों के चले जाने से सब ठीक नहीं हो गया है. अपने देश को विश्व में सिरमौर बनाने के लिए हमें भारत की स्वतंत्रता में जिन लोगों ने बलिदान दिया है, उनकी स्मृति मात्र से नहीं चलेगा. उनका जीवन चरित्र पढ़ना होगा, उसका चिंतन मनन करना होगा. इन सभी चारों धाराओं में काम करने वाले लोगो के जीवन प्रेरक हैं. उसमें भी क्रांतिकारियों के जीवन समर्पण की पराकाष्ठा है, ऐसी ही क्रांतिकारियों की माला के एक प्रतिनिधि सरदार सिंह राणा हैं. हमारे देश में भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद जैसे कई क्रांतिकारी हुए, जिन्होंने अपना जीवन किसी एक उद्देश्य के लिए दे दिया. लेकिन विडंबना देखिये कि आज ऐसे क्रांतिकारियों को दहशतगर्द कहने वाले लोग भी इस स्वतंत्र भारत में हैं.
सरसंघचालक जी ने कहा कि देश, काल, परिस्थिति में समान स्वभाव के लोग भी अलग-अलग कृति करते हैं. इस वेबसाईट के माध्यम से क्रांतिकारियों को प्रेरणा देने वाले व्यक्तित्व कैसे थे, यह जानकारी हमें मिलेगी. ये सभी लोग क्रांतिकारियों के चिंतन को आगे बढ़ाने वाले लोग थे. हमारे ये सब लोग दुनिया की पहली पंक्ति के लोगों के साथ खड़े रहने की क्षमता रखने वाले लोग थे. लेकिन उन्होंने अपनी क्षमता का उपयोग व्यक्तिगत मान सम्मान के लिए न करके देश के लिए किया. आज हमें उन लोगों ने उस समय की परिस्थिति के अनुसार जो किया, वह सब करने की आवश्यकता नहीं है. लेकिन आज हमें जो करना है, उसके पीछे हमारा पूज्य भाव से समर्पण होना चाहिए. आज हमें गुण संपन्न बनना है. दुनिया में कहीं भी गुणों से कोई समझौता नहीं होता. देश के हित में विचार कर उन्होंने हमें जो रास्ता दिखाया उस पर हमें चलना होगा. हमारे यहाँ राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक सभी में सुधार की आवश्यकता है. सरदार सिंह जी ने केवल क्रांतिकारियों की सहायता की हो ऐसा नहीं है. उन्होंने शिक्षा एवं समाज सुधार के क्षेत्र में भी सहायता की. उन्होंने देश के हित में कार्य करने वाले सभी लोगों की मदद की, चाहे उनके विचार मेल खाते हों या नहीं. आज समय की मांग है कि मतभेद हो सकते हैं, लेकिन देश के भले के लिए हमें एक-दूसरे का विश्वास कर साथ चलना चाहिये.
सरदार सिंह जी के जीवन में गीता के उपदेश के अनुसार युद्ध करना अनिवार्य था, कोई भी हथियार हाथ में लेकर अतिवादी बने बिना, लम्बे समय की लड़ाई उनके जीवन में देखने को मिलती है. उनके विषय में जानकारी प्राप्त करें. इस वेबसाईट के माध्यम से जो जीवन चरित्र प्रकाशित हुआ है, वह खूब उपयोगी होगा, ऐसी शुभकामना है. कार्यक्रम के अध्यक्ष राज्यपाल ओ.पी. कोहली जी ने प्रसंगोचित उद्बोधन किया.