ख्यातिलब्ध विचारक और वयोवृद्ध पत्रकार मा.गो. वैद्य जी ने कहा कि पत्रकार और संपादक को सर्वसमावेशक की भूमिका निभानी चाहिए. समाचार पत्र भी समावेशी होना चाहिए. समाचार पत्र के वैचारिक पृष्ठ पर सभी प्रकार के विचारों को अवसर दिया जाना चाहिए. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी समावेशी है. जो लोग संघ को नहीं पहचानते हैं वे इसे ‘एक्सक्लूसिव’ की नजर से देखते हैं.
वे माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय द्वारा डी.लिट. (विद्या वाचस्पति) की मानद उपाधि से सम्मानित किये जाने के अवसर पर संबोधित कर रहे थे. विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में भारत के उपराष्ट्रपति एवं विश्वविद्यालय के कुलाध्यक्ष वैंकैया नायडू ने वैद्य जी को डी.लिट. की मानद उपाधि दिए जाने की घोषणा की थी. स्वास्थ्य कारणों से वैद्य जी विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में नहीं आ सके थे.
नागपुर में आयोजित समारोह में उन्होंने कहा कि वे संयोगवश पत्रकारिता के पेशे में आए. वे मूलतः शिक्षक हैं. जनसंघ के नागपुर क्षेत्र के संगठन मंत्री रहे. बीच-बीच में संघ की प्रतिनिधि सभा के प्रस्तावों का लेखन करते थे. इसे देखकर तत्कालीन सरकार्यवाह बालासाहब देवरस जी ने ‘तरुण भारत’ का संपादक बना दिया. संपादक रहते उन्होंने कभी भी अपने नाम से लेख नहीं लिखे. ‘नीरज’ के नाम से लिखते रहे. इस समाचार पत्र को संघ के मुख्य पत्र के रूप में देखा जाता था, लेकिन साम्यवादी और कांग्रेस के विचारों को भी स्थान दिया जाता था.
कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलपति जगदीश उपासने जी, कुलाधिसचिव लाजपत आहूजा जी और कुलसचिव संजय द्विवेदी जी ने वैद्य जी को डी. लिट. की उपाधि से सम्मानित किया. मंच पर उनकी पत्नी सुनंदा वैद्य जी भी उपस्थित थीं. इसके पूर्व कुलपति जगदीश जी ने उन्हें डी. लिट. की मानद उपाधि दिए जाने की विधिवत घोषणा की. कुलाधिसचिव ने प्रशस्ति पत्र का वाचन किया. कार्यक्रम का संचालन कुलसचिव ने किया. इस अवसर पर समाज के अनेक गणमान्यजन उपस्थित थे. सहायक कुलसचिव गिरीश जोशी ने आभार व्यक्त किया.