देश में वर्तमान सरकार के गठन के कुछ समय बाद ही एक ट्रेंड शुरू हो गया था, देश में कहीं भी एक छोटी से घटना होती और पूरे देश का सेकुलर मीडिया घटना को बढ़ाने चढ़ाने में लग जाता. किसी भी प्रदेश में दलित, मुस्लिम, क्रिश्चियन के साथ घटना-दुर्घटना होती, उसे इन वर्गों पर अत्याचार घोषित कर दिया जाता तथा जांच से पहले ही केंद्र सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया जाता. पर, वास्तव में इसके पीछे एक बड़ी वजह है, पाकिस्तान का मास्टर प्लान – 2016.
इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में कुलभूषण जाधव मामले की सुनवाई चल रही है, आप जानकर हैरान होंगे कि पाकिस्तान ने जाधव को जासूस साबित करने के लिये भारतीय मीडिया के कुछ लोगों का सहारा लिया है. मंगलवार को खावर कुरैशी ने इंडियन एक्सप्रेस में 2017 में प्रकाशित करण थापर के लेख, जनवरी 2018 फ्रंटलाइन में प्रवीण स्वामी के लेख, क्विंट में प्रकाशित चंदन नंदी के लेख, को आधार बनाया. पाकिस्तान के मास्टर प्लान के परिणाम का एक उदाहरण यह भी है.
अब बात करते हैं पाकिस्तान के मास्टर प्लान-2016 की. जिसे 2016 में पाकिस्तान के उच्च सदन सीनेट की हाई पावर्ड कमेटी ने तैयार किया था. पॉलिसी गाइडलाइंस प्लान को तैयार करने में पाकिस्तान के डिफेंस मिनिस्टर ख्वाजा मोहम्मद आसिफ, डिफेंस सेक्रेटरी, पीएम एडवाइज़र सरताज़ अजीज सहित 13 सीनेटर की कमेटी शामिल थी. इसे 04 अक्तूबर, 2016 को लागू करने के लिए पास कर दिया गया.
इसके तहत पाकिस्तान के खिलाफ मोदी के रवैये को देखते हुए उनको हटाने और काउंटर करने लिए 22 सूत्रीय योजना बनाई गई. जिसमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कश्मीर मुद्दे पर भारत के खिलाफ प्रचार करने, कश्मीर में मानवाधिकारों के हनन को मुद्दा बनाने की योजना बनाई गई थी.
लेकिन, इस योजना में सबसे खतरनाक षड्यंत्र था – फॉल्टलाइंस पर वार करना. यानि जाति, धर्म के आधार पर दंगे भड़काना. भारत में दलित, मुस्लिम, और क्रिश्चियन को हिंदुत्व-आरएसएस के नाम पर भड़काकर निशाना बनाना था. इसके लिये मोदी विरोधी मीडिया, एनजीओ, मानवाधिकार समूहों, राजनीतिक दलों तक पहुंच बनाकर सहायता लेने की बात कही गई है.
स्पष्ट है कि पाकिस्तान अपने मास्टर प्लान को भारत में लागू कर चुका है. इसका परिणाम यह है कि वर्तमान सरकार के दौरान दलित, मुस्लिम और क्रिश्चियनों पर हमले और फिर उसके नाम पर देश विरोधी आंदोलन खड़े किये गये. उन्हेंन हिन्दुत्व और आरएसएस के नाम पर भड़काया गया. उन हिंदूत्व और आरएसएस के नाम पर भड़ाकाया गया. अब आप आसानी से समझ सकते हैं कि कैसे एक छोटा-सा केस बिना किसी वेरिफिकेशन के मीडिया और लिबरल लॉबी मोदी सरकार के खिलाफ माहौल बनाने लगती है.
अपने मास्टर प्लान को पाकिस्तान स्वयं लागू नहीं कर रहा है, इसके लिए उसने अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों को जिम्मा सौपा हुआ है. इसकी योजना भी सीनेट कमेटी ने ही तैयार की थी.
पाकिस्तानी सीनेट की रिपोर्ट सामने आने के बाद लिबरल-सेकुलर पत्रकार भी मुंह नहीं मोड़ पाएंगे. पिछले दिनों देश में घटित घटनाओं के विश्लेषण से आम जन भी समझ पाएगा कि देश में किसके इशारे पर कौन षड्यंत्र कर रहा था.
इसी मास्टर प्लान में पाकिस्तानी सीनेट ने इस्लामाबाद में आयोजित (2016) सार्क सम्मेलन में भाग न लेने पर बांग्लादेश, भूटान, अफगानिस्तान, श्रीलंका के निर्णय को दुःखद करार दिया है, तो तुर्की, इरान, चीन, आर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कॉऑपरेशन की प्रशंसा की है.