जयपुर, (विसंकें). व्यक्ति निर्माण की अभिनव पद्धति संघ की शाखा है. शाखाएं व्यवस्थित हों, इसलिए वर्ष में एक बार प्रशिक्षण वर्गों का आयोजन होता है. जिसमें स्वयंसेवक, शरीरिक, बौद्विक एवं मानसिक विकास हेतु कठोर प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं. आगरा और चंद्रनगर विभाग का प्रशिक्षण वर्ग खंदौली में 26 मई से चल रहे वर्ग का शुक्रवार (15 जून) को समापन हो गया. खंदौली के सीवी इंटरनेशनल स्कूल में आयोजित समापन कार्यक्रम में स्वयंसेवकों को ब्रजप्रांत प्रचारक डॉ. हरीश जी का मार्गदर्शन मिला.
डॉ. हरीश जी ने कहा कि जब भी राष्ट्र पर कभी संकट आया है, यहां महापुरूषों की एक बड़ी श्रृंखला खड़ी हो गई. संतों ने समाज निर्माण के लिए आंदोलन खड़ा किया और हमारी संस्कृति को बचाए रखा. संत केवल साधना करने के लिए नहीं अपितु, सेना तैयार करने का भी कार्य करते हैं. महात्मा बुद्ध, जगद्गुरू श्री शंकराचार्य, आचार्य शंकर देव, संत रविदास, दक्षिण भारत के संत श्री मधुसूदन सरस्वती जी का उदाहरण देते हुए कहा कि जब भी समाज में विकृति उत्पन्न होती है, संत आगे आते हैं और समाज के नवनिर्माण में लग जाते हैं. उन्होंने संत श्रीमद् बल्लभाचार्य जी व कुंभनदास जी का उदाहरण देते हुए कहा कि मुगलकाल में जब मंदिर तोड़े जा रहे थे, तब श्री बल्लभाचार्य ने घर-घर में मंदिर बनवाए.
प्रांत प्रचारक जी ने कहा कि डॉ. हेडगेवार जी ने बच्चों के साथ संघ कार्य को प्रारंभ किया था, उस समय कुछ लोग हंसी उड़ाते थे. लेकिन, आज संघ का कार्य विशाल वटवृक्ष बन गया है. महात्मा गांधी जी भी संघ के शिविर को देखने गए और संघ कार्य से प्रभावित हुए. संघ आज न केवल विश्व का सबसे विशाल समाजसेवी संगठन है. बल्कि, सबसे अधिक अनुशासित भी. उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृति को आज विश्व में अपनाया जा रहा है. जापान के हर स्कूल में योगाभ्यास कराया जाता है. उन्होंने 21 जून को योग दिवस पर सभी से योगाभ्यास करने का आह्वान किया.
कार्यक्रम के अध्यक्ष श्री सिद्ध गुफा, योग प्रशिक्षण केंद्र, संवाई के आचार्य डॉ. दासलाल जी महाराज ने कहा कि आज समाज के सभी वर्गों को हिन्दू संस्कृति की रक्षार्थ संगठित होने की आवश्यकता है. डॉ. हेडगेवार जी ने अपना संपूर्ण जीवन समाज को संगठित व राष्ट्र के नव निर्माण के लिए समर्पित कर दिया. गीता के प्रसिद्ध श्लोक ‘संघे शक्ति कलियुगे’ का उदाहरण देते हुए कहा कि कलियुग में संघ की शक्ति से ही समाज का नवनिर्माण होगा. कार्यक्रम में वर्ग की संपूर्ण जानकारी वर्ग कार्यवाह रामलखन जी ने दी. मंच पर प्रांत संघचालक जगदीश वशिष्ठ जी, वर्गाधिकारी श्यामकिशोर जी उपस्थित रहे. कार्यक्रम का संचालन प्रांत सह बौद्धिक प्रमुख सतीश समर्थ जी ने किया.
वर्ग समापन कार्यक्रम में स्वयंसेवकों ने योगाभ्यास, नियुद्ध, खेल, घोष (बैंड) का प्रदर्शन किया. कार्यक्रम में शहर के प्रबुद्ध नागरिक, शिक्षाविद्, राजनीतिज्ञ, समाजसेवी, चिकित्सकगण, बड़ी संख्या में शहर व आसपास के गांवों की माताएं-बहनें उपस्थित रहीं.