संस्कृत में शपथ लेने पर लोकसभा सांसदों को सम्मानित किया
लोकसभा सदस्य के रूप में संस्कृत में शपथ लेने वाले सांसदों का 15 जुलाई 2019 को नई दिल्ली स्थित कांस्टीट्यूशन क्लब में संस्कृत भारती ने सम्मान किया. 17वीं लोकसभा में कुल 47 सांसदों ने संस्कृत में शपथ ली है.
संस्कृत भारती के राष्ट्रीय महासचिव दिनेश कामत ने कहा ने कहा कि डॉ. भीमराव आम्बेडकर ने कहा था कि भारत की राजभाषा संस्कृत को बनाया जाना चाहिए. संस्कृत भाषा को ब्राह्मणों से जोड़कर देखा जाता है और उन्हें इसका प्रचार नहीं करना चाहिए, के प्रश्न पर डॉ. आम्बेडकर ने अपने अनुयाइयों से कहा था कि महान कवि व्यास, वाल्मीकि और कालिदास आदि भी ब्राह्मण नहीं थे, जिन्होंने संस्कृत के सर्वमान्य महान ग्रंथों की रचना की थी. भारत के एकीकरण और सांस्कृतिक विकास में संस्कृत भाषा की भूमिका अग्रणी है.
उन्होंने कहा कि वर्तमान में संस्कृत भारती के देशभर में 585 केंद्र हैं. वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों के बाद 37 सांसदों ने संस्कृत में शपथ ली थी और 2019 में अब यह संख्या बढ़कर 47 हो गई है. वर्तमान में न केवल भारत के सांसदों ने संस्कृत में दिलचस्पी दिखाई है, बल्कि चीन सहित 40 देशों और विश्व में 254 विश्वविद्यालयों में संस्कृत का अध्ययन और इस पर शोध किया जा रहा है. केंद्रीय राज्य मंत्री प्रताप चंद सारंगी ने आज के परिदृश्य में संस्कृत की महत्ता को बताया.
संस्कृत भारती के दिल्ली प्रांत के मंत्री कौशल किशोर तिवारी ने कहा कि संस्था के प्रयासों से पहली बार इतनी बड़ी संख्या में सांसदों ने संस्कृत भाषा में शपथ ली है. इसलिए संस्था ने इन सभी सांसदों को सम्मानित करने का निर्णय लिया है. केन्द्रीय मंत्री डॉ. हर्षवधन ने पिछली बार भी संस्कृत में शपथ ली थी, इसलिए संस्था ने उन्हें विशेष रूप से सम्मानित किया.
उन्होंने कहा कि समारोह में उन सभी सांसदों को भी आमंत्रित किया गया, जिन्होंने इसके पहले संस्कृत में शपथ ली थी. समारोह में संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. भक्त वत्सल विशेष रूप से उपस्थित रहे.
संस्कृत में शपथ लेने वाले सांसद
संस्कृत में शपथ लेने वालों में प्रमुख रूप से डॉ. हर्षवर्धन, अश्विनी चौबे, प्रताप सारंगी, साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, श्रीपद येशो नाईक, मिनाक्षी लेखी, रमेश चंद्र बिधूड़ी, सी.आर. पाटिल, वीरेंद्र सिंह, साक्षी महाराज और निशिकांत दुबे शामिल हैं.
कार्यक्रम में सम्मिलित हुए सांसदों में दिलीप घोष, पुष्पेन्द्र सिंह चंदेल, छतर सिंह, पर्वत पटेल, प्रो. रमेश कुमार पांडेय, सुनीता दुग्गल, गिरीश बापट, सुनील मेढ़े, सुदांत मजूमदार, डॉ. श्रेयांश द्विवेदी, संजय सेठ, अजय भट्ट, सुधीर गुप्त, डॉ. महेन्द्र मंजुपरा, प्रभु वसावा, जतिन भाई सिंह महतो, नारायण पंचारिया, राजेन्द्र अग्रवाल, महेन्द्र सोलंकी, गजेन्द्र पटेल, रोडमल नागर, दुर्गादास उइके को संस्कृत सम्मान से सम्मानित किया गया.