
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने बकरीद पर जानवरों की कुर्बानी का विरोध
विसंके जयपुर। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने बकरीद के मौके पर जानवरों की कुर्बानी का विरोध किया। विश्व संवाद केन्द्र में आयोजित प्रेसवार्ता में पदाधिकारियों ने विरोध जताया। मंच से पहले भी ‘तीन-तलाक’ के विरोध में पूरे देश में जागरूकता के लिये प्रदेशों में गोष्ठियां कर चुका है।
विश्व संवाद केन्द्र में प्रेसवार्ता में मंच के सह-संयोजक उत्तर प्रदेश के खुर्शीद आगा ने कहा कि बकरीद में कुर्बानी को लेकर समाज में अंधविश्वास फैला है, मुसलमान अपने आपको ईमान वाला तो कहता है। लेकिन वास्तव में अल्लाह की राह पर चलने से भ्रमित हो गया है। उन्होंने कुर्बानी का विरोध करते हुए प्रश्न उठाया कि कुर्बानी जायज नहीं है तो फिर जानवरों की कुर्बानी क्यों दी जा रही है?
संयोजक उत्तर प्रदेश (पूर्वी) के ठाकुर राजा रईस ने कहा कि इस्लाम में साफ-साफ बताया गया है कि एक घटना के पश्चात हजरत इब्राहिम ने कोई कुर्बानी नहीं दी। जब हजरत इब्राहिम द्वारा किसी जानवर की कुर्बानी नहीं दी गयी तो फिर मुस्लिम समाज में बकरीद के मौके पर जानवरों की कुर्बानी क्यों दी जा रही है। अतः बकरीद में जानवरों की कुर्बानी के नाम पर जानवरों का कत्ल है, कुर्बानी नहीं। रसूल ने फरमाया है पेड़-पौधे, पशु-पक्षी अल्लाह की रहमत हैं, उन पर तुम रहम करोगे। अल्लाह की तुम पर रहमत बरसेगी।
संयोजक, अवध प्रान्त सै. हसन कौसर ने गाय की कुर्बानी को हराम बताते हुए कहा कि रसूल ने फरमाया है कि गाय का दूध शिफा है और मांस बीमारी है, कुर्बानी के नाम पर गाय के मांस को खाना रसूल के आदेशों की ना फरमानी है, ‘‘तीन-तलाक’’ की भांति ही बकरीद के मौके पर जानवरों की कुर्बानी एक कुरीति है। हम सब 21 वीं सदी में है। अतः समाज को बुरी कुरीतियों से निकालना होगा। तालीम को हासिल करना खुदा और रसूल दोनों ने इस दुनिया में इंसान का पहला कर्तव्य कहा है। जो अच्छी तालीम लेगा, वही कुरान की बातों को समझेगा और कुरीतियों से खुद-ब-खुद निकालकर बाहर आ जाएगा। जो लोग बकरीद के मौके पर जानवरों की कुर्बानी को जायज बताते हैं और समाज में बकरीद के मौके पर जानवरों की कुर्बानी देने की प्रेरणा दे रहे है। वे सब रसूल द्वारा बताए गए रास्तों के खिलाफ हैं और सुन्दर इस्लाम को खराब बनाने के लिये प्रयासरत है। लोगो को इनका बहिष्कार करना चाहिए। अतः बकरीद में जानवर की कुर्बानी देना हराम है।
तौकीर अहमद नदवी ने कहा कि हिन्दुस्तान के इतिहास को मिटाना किसी इंसान के लिए ठीक नहीं है। अयोध्या में राम मन्दिर भारतीय इतिहास की एक कड़ी है, जिसे बनाये रखना हम सबका कर्तव्य है। रसूल बताते हैं कि जिस जगह फसाद हो, वहां न तो नमाज हो सकती और न वह मस्जिद हो सकती है। तो फिर अयोध्या में राम मन्दिर का होना बेहतर होगा। उन्होंने बकरीद में जानवरों की कुर्बानी पर कहा कि वास्तव में हजरत इब्राहीम ने जिस जानवर की कुर्बानी दी, वह कबूल नहीं हुई थी। फिर जानवरो की कुर्बानी कैसे जायज हुई।
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय सह-संयोजक रजा रिजवी ने कहा कि इस्लाम में रसूल ने फरमाया है – गाय के दूध को शिफा कहा गया और मांस को बीमारी, उसके गोश्त को इस्लाम के मानने वाले यदि खाते हैं तो रसूल की बात पर नहीं चल रहे है। अयोध्या में राम मन्दिर बनाए जाने की पैरवी करते हुए कहा कि अब वह दिन दूर नहीं जब अयोध्या में मन्दिर का निर्माण न हो. मा. सर्वोच्च न्यायालय ने मुसलमानों को एक सुन्दर मौका दिया और इस मौके का फायदा मुसलमानों का उठाना चाहिए, खुदा के बताये रास्ते पर हिन्दुओं की आस्थाओं का सम्मान करते हुए मन्दिर बनाने में सहयोग करें।