जयपुर 22 मार्च (विसंकें)। भगवान राम अनंत और शाश्वत हैं। हमारे देश का सौभाग्य है, जहां भगवान ने विभिन्न रूपों में अवतार लिया और इस पावन धरा पर खेलकर हमें धर्म और सत्य का पाठ पढ़ाया। राम मंदिर बनाना केवल हमारी इच्छा ही नहीं है बल्कि संकल्प है। हम इस संकल्प को पूरा करेंगे। अब समय नजदीक है। परिस्थितियां भी अनुकूल होने लगी हैं। राम मंदिर निर्माण का कार्य वर्ष 1986 से चल रहा है। मुख्य कठिनाई यह है कि जिन्हें राम मंदिर बनाना है, उन्हें स्वयं राम बनना होगा। जब ऐसा होगा, तब स्वयं ही मंदिर का सुंदर और भव्य परिवेश बनेगा। ये विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत जी ने मध्य प्रदेश स्थित छतरपुर के मऊसहानियां के शौर्यपीठ में बुंदेलखंड केसरी महाराजा छत्रसाल की 52 फीट ऊंची प्रतिमा के अनावरण के अवसर पर व्यक्त किए। प्रतिमा अनावरण के बाद सभा को संबोधित करते हुए संघ प्रमुख मोहन भागवात जी ने महाराजा छत्रसाल के समता युक्त और शोषण मुक्त राज्य की सराहना करते हुए कहा कि हमें भी भाषा, जाति, उपजाति के आधार पर हुए सामाजिक विभाजन को खत्म करना है। इस भेदभाव को मिटाकर सभी समाजों को जोड़कर ही भारत राष्ट्रगुरु बनेगा और रामराज्य की कल्पना साकार होगी। श्रीराम ने सर्व समाज को जोड़ने का काम किया है। सत्य को स्थापित करने के लिए सत्य धर्म को अपनाया। हमें भी सभी को जोड़ने के लिए सुंदर साथ बनाना पड़ेगा क्योंकि हमारा मूल सत्य सनातन धर्म है। हमारा पवित्र धर्म सुरक्षित रहे इसके लिए हमें भगवान राम के आदर्शों को अपनाना पड़ेगा। संघ प्रमुख मोहन भागवत जी ने बताया कि महाराजा छत्रसाल ने अपने 82 वर्ष के जीवन में 52 युद्ध लड़े। उनकी प्रतिमा की ऊंचाई 52 फीट और जमीन से तलवार तक की कुल ऊंचाई 82 फीट रखी गई है। उनकी जीवनी को राष्ट्रीय स्तर पर पाठ्यक्रमों में शामिल किया जाना चाहिए।