पश्चिम क्षेत्र धर्म जागरण प्रमुख श्याम जी हरकरे ने कहा कि ‘राष्ट्रभक्ति और राष्ट्रशक्ति के जागरण के कारण देश फिर से जगद्गुरु बनेगा.’ पिछली अनेक सदियों से भारत में अनेक महापुरुषों ने प्रयास कर राष्ट्रभक्ति और राष्ट्रशक्ति जागरण का अत्यंत महत्त्वपूर्ण कार्य किया है और 1925 से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भी समाज की भक्ति व शक्ति के जागरण का संकल्प लिया है. श्याम जी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कोंकण प्रांत के प्रथम वर्ष संघ शिक्षा वर्ग के समारोप कार्यक्रम में संबोधित कर रहे थे.
श्यामजी हरकरे ने कहा कि हिन्दू समाज का संगठन मतलब सज्जन शक्ति का जागरण. देशभक्ति का संस्कार देकर आत्मविस्मृत समाज की वीरवृत्ति जागृत करने की दृष्टि से और उसके लिए योग्य संस्कार देने वाली कार्यपद्धति संघ ने विकसित की है. हिन्दू समाज पर हो रहे विविध सांस्कृतिक, राजकीय और सामाजिक आक्रमणों के बारे में भी जानकारी दी. इन आक्रमणों का मुकाबला करने के लिए अनुशासन सिद्ध संगठित हिन्दू समाज की आवश्यकता पर बल दिया.
कार्यक्रम में ख्याति प्राप्त अंतरराष्ट्रीय वारली चित्रकार सदाशिव म्हसे मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे. उन्होंने कहा कि वारली चित्रकला की कला पिता से विरासत में मिली है. देश – विदेश में अनेक चित्र प्रदर्शनियों में भाग लिया है. वारली चित्रकला का प्रशिक्षण लेकर आज 275 लोगों को रोजगार प्राप्त हुआ. प्रत्येक वारली चित्रकला में वारली जनजाति की कथा है. वारली जनजाति के नाम पर ही कला का नामकरण हुआ है. वारली समाज में शादी के दौरान घर में दीवार पर चित्रकारी की प्रथा है. वारली चित्रकला को संपूर्ण विश्व में प्रसिद्ध करने में भास्कर पुरकरे का अमूल्य योगदान रहा है.
20 दिवसीय संघ शिक्षा वर्ग में शिक्षार्थियों ने विविध विषयों का प्रशिक्षण लिया. समारोप कार्यक्रम में दंड, नियुद्ध, व्यायाम योग, गणसमता, योगचाप और घोष, विविध आकर्षक खेलों का प्रदर्शन किया. वर्ग कार्यवाह योगेश जी ने वर्ग की जानकारी दी.
प्रथम वर्ष संघ शिक्षा वर्ग में कोंकण प्रांत के 23 जिलों (संघ रचना अनुसार) से 88 शिक्षार्थी सहभागी हुए थे. इसमें 30 शिक्षार्थी व्यावसायिक श्रेणी व अन्य महाविद्यालयीन श्रेणी के थे. वर्ग अधिकारी के रूप में उदयराव कुलकर्णी उपस्थित रहे.