राष्ट्र सेविका समिति, भोपाल का विजयादशमी और प्रकट समारोह
राष्ट्र सेविका समिति की सह प्रांत कार्यवाहिका भारती कुशवाह जी ने कहा कि हम बहुत सौभाग्यशाली हैं कि हम सभी ने इस पुण्य भूमि पर जन्म लिया और सबसे ज्यादा सौभाग्यशाली हैं कि हमने मानव जाति में जन्म लिया. यह वंदन की भूमि है, तर्पण की भूमि है. धैर्य हम सब की विशेषता होना चाहिए और वर्तमान में सज्जन शक्ति को संगठित रहने की आवश्यकता है. दुर्गा संगठित शक्ति का रूप है. जिस प्रकार दुर्गा ने देवताओं की असुरों से रक्षा कर दुष्टों का संहार किया और धर्म की रक्षा की, उसी प्रकार हमें समस्त नारी शक्ति को सज्जनों की रक्षा, दुष्टों का विनाश और धर्म की स्थापना करने के लिए संगठित रहना होगा. भारती जी राष्ट्र सेविका समिति, भोपाल के प्रकट समारोह में मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रही थीं.
उन्होंने कहा कि हमारा देश विश्व के अन्य देशों से बहुत हटकर है, जिसकी संस्कृति में सर्वे भवन्तु सुखिनः की भावना है अर्थात् सबके सुखी होने की भावना है. यह भाव भारतीय संस्कृति के अलावा किसी और देश की संस्कृति में नहीं है. हमें अपनी संस्कृति को गलत रूप से प्रस्तुत करने वालों से बचाना होगा. जब हम भवन बनाते हैं तो नींव को मजबूत बनाते हैं, उसी प्रकार इस राष्ट्र की नींव नारी शक्ति है. इसलिए देश की मजबूती के लिए नारी शक्ति को और अधिक मजबूत होना पड़ेगा.
उन्होंने कहा कि राष्ट्र की शक्ति स्त्री होती है एवं संस्कारों की शक्ति भी स्त्री ही होती है. मां के रूप में, बहन के रूप में, बेटी और पत्नी के रूप में, नारी ने सबका मार्गदर्शन किया. इसलिए आवश्यकता है हम अपनी शक्ति को पहचानें. वर्ष 1936 में विजयादशमी के अवसर पर लक्ष्मीबाई केलकर मौसी ने राष्ट्र जागरण के लिए “राष्ट्र सेविका समिति” की स्थापना की थी. तब से लेकर आज तक समिति राष्ट्र को सशक्त बनाने के लिए महिलाओं के माध्यम से निरंतर कार्य कर रही है.
कार्यक्रम की अध्यक्षता स्मृति शर्मा ने की. उन्होंने कहा कि नारी शक्ति को समाज निर्माण में अपनी भूमिका निभानी चाहिए. कार्यक्रम में समिति की कार्यकर्ताओं ने नियुद्ध (कराटे), योग, समता सहित अन्य कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी.