जयपुर (विसंकें). गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा जी ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से बालकों पर अत्याचार की घटनाएं हो रही हैं, यह सच है. समाज भयभीत हो, इस तरह से उन घटनाओं का वार्तांकन करना योग्य नहीं. तथापि, इन वार्ताओं से लोकजागरण होना आवश्यक है. वे विश्व संवाद केंद्र, मुंबई द्वारा आयोजित देवर्षि नारद पुरस्कार समारोह में संबोधित कर रही थीं. 30 अप्रैल को गोवा के राजभवन में कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. समारोह में वरिष्ठ पत्रकार सुरेश वालवे जी, और लोकमत के सहायक संपादक मयुरेश वाटवे जी को पत्रकारिता में उल्लेखनीय योगदान के लिये सम्मानित किया गया.
उन्होंने कहा कि देवर्षि नारद को आद्य पत्रकार माना जाता है. उनके वार्तांकन में भूतकाल का भान और वर्तमान में रहकर भविष्य का बीज, ये दोनों चीजें हुआ करती थीं. भविष्य की घटनाओं की सूचना होते ही वे लोगों को सावधान करते थे.
महाराष्ट्र राज्य माहिती आयुक्त दिलीप धारुरकर जी समारोह में मुख्य वक्ता रहे. उन्होंने कहा कि पाश्चात्य तत्वों के आधार पर भारतीय इतिहास और समाज का विश्लेषण करना, कदापि योग्य नहीं. ब्रिटिशों ने एक संघ भारत का निर्माण किया, यह एक अयोग्य कल्पना है. हम समान धारणा एवं संस्कारों के समान सूत्र में बंधे हैं. राष्ट्रोथान का महत्वपूर्ण कार्य का दायित्व पत्रकारों पर है.
विश्व संवाद केंद्र, मुंबई के अध्यक्ष सुधीर जोगलेकर जी ने कार्यक्रम की प्रस्तावना रखी. विश्व संवाद केंद्र द्वारा आयोजित पत्रलेखन प्रतियोगिता के विजेताओं को भी कार्यक्रम में सम्मानित किया गया.