रांची (विसंकें). अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के तत्वावधान में सातवां अखिल भारतीय खेल महोत्सव 27 दिसंबर को रांची (झारखंड) में प्रारम्भ हुआ. विशेष रूप से निर्मित खेल गांव में भव्य उद्घाटन कार्यक्रम संपन्न हुआ. केन्द्रीय जनजाति कार्य मंत्री जुएल उरांव तथा केन्द्रीय ग्राम विकास राज्य मंत्री सुदर्शन भगत कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे. कार्यक्रम की अध्यक्षता झारखंड के मुख्य मंत्री रघुवरदास ने की.
मुख्य वक्ता के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह सुरेश भय्याजी जोशी का उद्बोधन हुआ. झारखंड के गांव गांव से खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के लिए लगभग पचास हजार वनवासी व नगरवासियों की उपस्थिति में वेद मन्त्रों के साथ उद्घाटन कार्यक्रम संपन्न हुआ. कार्यक्रम का प्रारम्भ वनयोगी स्व. बालासाहब देशपांडे के चित्र पर माल्यार्पण के साथ हुआ. अतिथियों का स्वागत व परिचय वनवासी कल्याण केंद्र के अध्यक्ष डॉ. एचपी नारायण द्वारा किया गया. देश भर से आये हुए 3100 खिलाड़ियों के संचलन (मार्च पास्ट) का दर्शकों ने उत्साह से स्वागत किया. मार्चपास्ट में सेना का बैंड भी आकर्षण का प्रमुख केंद्र रहा. मार्च पास्ट के पश्चात् खिलाड़ियों ने शपथ ग्रहण की.
मुख्य वक्ता भय्या जी जोशी ने अपने उद्बोधन में वनवासी समाज के हित में कल्याण आश्रम के योगदान की भूरि भूरि प्रशंसा की तथा कहा कि वनवासी समाज न केवल खेल, अपितु सभी क्षेत्रों में आगे बढ़ रहा है. इस दिशा में कल्याण आश्रम के विशेष प्रयास अभिनंदनीय हैं.
वनवासी कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगदेवराम जी ने स्वागत भाषण देते हुए कल्याण आश्रम वर्तमान तक चले कार्यों की जानकारी व उपलब्धियों पर प्रकाश डाला. दो बार एवरेस्ट शिखर पर तिरंगा फहराने वाली अरुणाचल प्रदेश की अंजु जेन्समपाने ने विशिष्ट अतिथि के रूप में अपने अनुभव सुनाये. अर्जुन अवार्ड से सम्मानित अंतर्राष्ट्रीय धाविका कविता राउत ने कहा कि मुझे इस बात का गौरव है कि मैं कल्याण आश्रम के माध्यम से खेल जगत में आगे आई हूं. उन्होंने खेल महोत्सव में भाग लेने आये खिलाड़ियों को शुभकामनाएं दी.
रंगारंग कार्यक्रम में पूर्वांचल के रियांग एवं चकमा जनजाति का मनमोहक नृत्य हुआ. साथ में अन्य वनवासी कलाकारों द्वारा अकरा नृत्य और छौ नृत्य भी प्रस्तुत किया गया. झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवरदास ने समाज जीवन में सामूहिकता की भावना बढ़ाने में खेलों के महत्व पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि यह महोत्सव झारखंड में आयोजित होने पर प्रसन्नता भी व्यक्त की. लिथोनिया से विशेष रूप से आईं गुरुमाता एवं बेट्रा बहिन ने सम्पूर्ण वन्देमातरम का सुमधुर गायन किया.