संस्कारयुक्त शिक्षा वर्तमान समय की अनिवार्यता – सुरेश सोनी जी

उज्जैन में आयोजित विराट गुरुकुल सम्मलेन का समापन

 जयपुर (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह सुरेश सोनी जी ने कहा कि मनुष्य एक जीवमान इकाई है. आप उसे मशीन नहीं बना सकते. अगर वह मशीन बनेगा तो शिक्षा के क्षेत्र में रिक्तता आएगी. इसलिए आज के समय में संस्कार युक्त शिक्षा होनी चाहिए, जो मनुष्य के जीवन को आदर्श बनाए. सह सरकार्यवाह उज्जैन में आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय विराट गुरुकुल सम्मेलन के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे.

देश में संचालित गुरुकुलों से आए प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए सह सरकार्यवाह जी ने कहा कि संस्कारों से ही परिवर्तन होता है. संस्कार मनुष्य को भाव जगत में ले जाने का कार्य करता है. हमें अपने ग्रंथों के मूल में जाकर अध्ययन करना होगा, तब जाकर हम युगानुकुल युवा पीढ़ी को शिक्षित कर पाएंगे. भारतीय गौरवशाली अतीत का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि अतीत का गौरव अच्छी बात है, पर हमें वहीं रुके नहीं रहना चाहिए. ज्ञान का प्रवाह सतत होते रहना चाहिए. हमें आधुनिक समय में भी विभिन्न शास्त्रों और विभिन्न विषयों पर निरंतर अध्ययन और शोध करते रहना होगा, तब जाकर हम भारत को विश्वगुरु बना पाएंगे. उन्होंने आधुनिक परीक्षा पद्धति पर कहा कि आज की परीक्षा पद्धति अंक आधारित हो गयी है. जबकि प्राचीन काल में परीक्षा अध्ययन को समृद्ध करने वाली होती थी.

सह सरकार्यवाह जी ने कहा कि ज्ञान तो ज्ञान होता है, वह इस देश उस देश का नहीं होता है. हमें इस अवधारणा से मुक्त होना पड़ेगा कि सबकुछ हमारा है, सभी ज्ञान हमारे हैं. हमें अपने ज्ञान के साथ-साथ दूसरों के ज्ञान-विज्ञान को भी अपनाना होगा. हमें सभी विषयों का समग्र अध्ययन करते रहना चाहिए. उन्होंने कहा कि हमें याचना और दया भाव की मनोदशा से निकलना होगा. हमें अपने वैदिक शौर्य और पुरूषार्थ को अपनाना होगा. हमारे शास्त्रों में भौतिक और अध्यात्म दोनों का समन्वय है. हमें उस परंपरा को आगे बढ़ाते हुए विभिन्न पद्धति और विभिन्न समुदायों के मध्य समन्वय बना कर चलना होगा.

इस अवसर पर संवित सोम गिरि जी ने कहा कि आज इस विराट मंच पर जो शंखनाद हुआ है, वह पूरे विश्व को एक नई दिशा दिखाएगा. आज इस विराट सम्मेलन के बाद हमें संकल्प लेना होगा, हमें अपने तीनों नेत्रों को खोलना होगा. युवा शक्ति और मातृ शक्ति को आगे आना होगा. स्वामी गोविन्द गिरी जी ने उपस्थित लोगों को दस सूत्रीय संकल्प दिलाया. आभार ज्ञापन मध्यप्रदेश शासन संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव मनोज श्रीवास्तव जी ने किया. भारतीय शिक्षण मंडल के अध्यक्ष डॉ. सच्चिदानंद जोशी जी, सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे.

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