संस्कृत सही मायनों में भारत की आत्मा है – राम नाईक जी

जयपुर (विसंकें). उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक जी ने माधव सभागार निराला नगर में आयोजित 15 दिवसीय सरल संस्कृत सम्भाषण शिक्षक प्रशिक्षण शिविर का समापन किया. कार्यक्रम की अध्यक्षता उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा जी ने की. राज्यपाल ने सभी प्रशिक्षुओं का अभिनन्दन करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ने संस्कृत संस्थान को पुनर्जीवित किया है. संस्कृत शिक्षा को मुख्यमंत्री ने व्यवहार में बदला है. उन्होंने संस्कृत का श्लोक उद्धृत करते हुए कहा कि बुद्धिमान व्यक्ति की प्रथम पहचान है कि वह कोई काम की शुरूआत न करें और दूसरी पहचान है कि यदि काम शुरू किया है तो उसे निरन्तर करता रहे. संस्कृत प्रशिक्षण का कार्य निरन्तर चलते रहना चाहिये.

उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा को पहचानने की जरूरत है. ज्ञान देने से ज्ञान बढ़ता है. इसलिये जो सीखा है, उसे अपने पास न रखकर दूसरों का ज्ञानवर्द्धन करें. लोगों में संस्कृत के प्रति उत्सुकता जगाएं. संस्कृत को ‘कम्प्यूटर फ्रेंडली’ कहा जाता है. संस्कृत भाषा में प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले संस्कृत के प्रति अन्य लोगों की आस्था बढ़ाएं.

राज्यपाल ने कहा कि संस्कृत की विशेषता है कि कम शब्दों में अधिक व्याख्या की जा सकती है. भारत में सभी प्राचीन ग्रंथ ज्यादातर संस्कृत भाषा में हैं. संस्कृत को जाने बिना भारतीय संस्कृति की महत्ता को नहीं जाना जा सकता. संस्कृत सही मायनों में भारत की आत्मा है. देश की वैचारिक प्रज्ञा को समझने के लिये संस्कृत एकमात्र माध्यम है. उन्होंने 26 मार्च को वाराणसी में राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोंविद जी की उपस्थिति में विमोचित अपनी पुस्तक चरैवेति! चरैवेति!! के संस्कृत संस्करण में संस्कृत विद्वानों की बड़ी संख्या में उपस्थिति को संस्कृत की लोकप्रियता का प्रमाण बताया.

कार्यक्रम के अध्यक्ष एवं उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा जी ने कहा कि संस्कृत भाषा अन्य भाषाओं की जननी है. संस्कृत विधिसम्मत और वैज्ञानिक भाषा है. संस्कृत भाषा की उपयोगिता को बढ़ाने के लिये माध्यमिक शिक्षा के शिक्षकों को संस्कृत संस्थान द्वारा प्रशिक्षित किया जाएगा. संस्कृत को ग्राह्य बनाने एवं घर-घर पहुंचाने के लिये उसका सरलीकरण आवश्यक है. उन्होंने अपने संस्कृत शिक्षक को स्मरण करते हुए कहा कि जब वे जुबिली कॉलेज के छात्र थे तो उनके शिक्षक वलीउल्लाह उन्हें संस्कृत पढ़ाते थे.

कार्यक्रम में संस्कृत संस्थान के अध्यक्ष डॉ. वाचस्पति मिश्र ने स्वागत उद्बोधन दिया तथा प्रमुख सचिव भाषा जितेन्द्र कुमार ने धन्यवाद ज्ञापित किया. कार्यक्रम में राज्यपाल सहित अन्य लोगों का अंग वस्त्र व स्मृति चिन्ह देकर सम्मान किया गया.

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