सत्य को जानें एवं अपनी परंपराओं पर गर्व करें – जे. नंदकुमार जी

image1जयपुर (विसंकें). प्रज्ञा प्रवाह के अखिल भारतीय संयोजक जे. नंदकुमार जी ने कहा कि राष्ट्रीय विचारों से भारतीय समाज को एकजुट बनाए रखने का सबसे बेहतर माध्यम पुस्तकें हैं. वर्तमान समय में शिक्षा के क्षेत्र में प्राचीन इतिहास पाठ्यक्रम से नदारद है, जिस कारण आज के छात्र इससे अनभिज्ञ हैं. आज पाठ्यक्रम में बदलाव कर भारत का प्राचीन गौरवशाली इतिहास छात्रों को पढ़ाने की आवश्यकता है. भारतीय परंपरा, साहित्य का सम्मान देश हित में है. इसको समाज, शिक्षा पद्वति से जोड़ा जाना वर्तमान समय की आवश्यकता है. शोध में प्राचीन को महत्ता मिले तो नवीन तकनीक उसका माध्यम बने. प्राचीन शास्त्रों में प्रचलित नामकरण को उन्होंने सामाजिक वातावरण से ओत प्रोत बताते हुए, उसकी सार्थकता और सोद्देश्यता को उपस्थित शोधार्थियों के समक्ष रखा.

नंदकुमार जी बृहस्पतिवार शाम को राजस्थान विश्वविद्यालय के अकादमिक स्टाफ सभागार में ‘वर्तमान परिप्रेक्ष्य में भारतीय ज्ञान परंपरा’ विषय पर आयोजित व्याख्यान में मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे.

उन्होंने कहा कि भारत एकमात्र देश है, जिसकी ज्ञान परम्परा लगातार और विभिन्न आक्रमणों द्वारा तहस नहस किए जाने व सम्पूर्ण पुस्तकालय जला देने के बाद भी दुनिया में ज्ञान-विज्ञान व दर्शन के शोध का प्रतिमान है. भारत वह देश है, जहाँ विद्या केवल वह नहीं है, जो मात्र पाठ्यक्रम तक सीमित हो, यहां विद्या के अंतर्गत सम्पूर्ण ब्रह्मांड का ज्ञान समाहित है. परा विद्या, अपरा विद्या भारतीय ज्ञान परम्परा का वह विस्तार है, जो अक्षुण्ण है. प्राचीन पद्धतियों को पाठ्यक्रम से नहीं जोड़ने से शास्त्र का सही अर्थ समाज और जनमानस के समक्ष नहीं आ पा रहा, परिणामस्वरूप कुछ तत्व विभेद फैलाने में समर्थ हो पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि कला साधना का जरिया रहा, और साधना में कला का पुट होना परम्परा आधारित रहा है.

प्राचीन शिक्षा पद्धति में शब्दकोष में भी रोचकता का पुट दिया गया है, पुराण में कहानी पद्धति का अनुसरण है, ताकि वे सभी वर्ग व आयु के लोगों के लिए समझ योग्य हो सकें. भारतीय ज्ञान परंपरा किसी वर्ग या जाति के लिए थी, ऐसा केवल सामाजिक वातावरण में द्वेष हेतु प्रसारित किया.

कार्यक्रम के आरम्भ में स्वागत भाषण डॉ. राजीव सक्सेना जी का रहा, प्रस्तावना एडवोकेट देवेश बंसल जी ने प्रस्तुत की तथा संचालन डॉ. सुनील कुमार जी ने किया.

You may also like...

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

one + 15 =