मानसा (विश्व संवाद केंद्र-पंजाब)। सभी को अपने-अपने से लगने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य श्री महावीर जी का भौतिक शरीर आज पंचतत्वों में विलीन हो गया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह श्री भैया जी जोशी, सह-सरकार्यवाह श्री सुरेश जी सोनी, अखिल भारतीय प्रचार प्रम्मुख श्री मनमोहन वैद्य सहित अनेक संघ अधिकारियों व हजारों नागरिकों, परिजनों ने सजल नेत्रों से उन्हें विदाई दी।
संघ के वरिष्ठ प्रचारक एवं अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य श्री महावीर का हृदयाघात के कारण 24 अक्तूबर को पीजीआई चंडीगढ़ में निधन हो गया था। स्व. महावीर जी का पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए संघ कार्यालय चंडीगढ़ में रखा गया, जहाँ हजारों स्वयंसेवकों ने उन्हें अश्रुपूरित श्रद्धाँजलि अर्पित की।
वरिष्ठ प्रचारक श्री रामेश्वर दास व प्रान्त प्रचारक श्री प्रमोद कुमार उनकी पार्थिव देह को लेकर उनके पैतृक निवास मानसा पहुंचे। मार्ग में अनेक स्थानों पर स्वयंसेवकों ने अपने महावीर जी को श्रद्धासुमन भेंट किए। श्री महावीर के भाई एडवोकेट सूरज छाबड़ा, श्री सुभाष छाबड़ा व अन्य परिजनों के आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे और महावीर जी की संघ व बचपन से जुड़ी यादों का स्मरण कर भावविव्हल होते दिखे।
पूरे सम्मान के साथ उनकी पार्थिव देह को स्थानीय रामबाग ले जाया गया जहां दिवंगत महावीर जी के भतीजे श्री समीर छाबड़ा, श्री सौरभ छाबड़ा व श्री कुणाल छाबड़ा ने उन्हें मुखाग्नि दी। इस मौके पर संघ के वरिष्ठ प्रचारक व उत्तर क्षेत्र के अधिकारी श्री प्रेम कुमार, बनवीर सिंह, श्री प्रेम गोयल, श्री किशोरकांत, श्री अशोक प्रभाकर, पंजाब प्रांत के संघचालक स. बृजभूषण सिंह बेदी, कार्यकारिणी के सदस्य श्री मुनिश्वर लाल, हिमाचल प्रदेश के प्रांत प्रचारक श्री संजीवन कुमार, सह प्रांत प्रचारक श्री संजय कुमार, कार्यवाह श्री किस्मत कुमार, हरियाणा प्रांत के संघचालक मेजर करतार सिंह सहित भारी संख्या में स्वयंसेवक, विभिन्न सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक, व्यापारिक संगठनों के प्रतिनिधि और नागरिक मौजूद थे।
कल 24 अक्तूबर को स्वर्गवासी हुए महावीर जी का जन्म पंजाब के शहर बुढलाढा, जिला मानसा में एक सम्पन्न परिवार में 22 नवम्बर 1951 को हुआ था। इनके पिताजी का नाम दीवान चंद और माता का नाम कृष्णा देवी था। आपके दो भाई और तीन बहने हैं। महावीर जी बाल्यकाल से संघ के स्वयंसेवक थे। छाबड़ा परिवार 1950 में बुढलाडा में आने से पहले पाकिस्तान में रहता था। आपके पिता जी पाकिस्तान में भी शाखा जाते थे और दायित्ववान कार्यकर्ता थे।
बुढलाडा आने के पश्चात् भी वे नगर कार्यवाह रहे। महावीर जी का संघ प्रवेश बुढलाडा में ही हुआ था। इनकी प्रारम्भिक और सीनियर सैकेण्डरी तक की शिक्षा मानसा में हुई। स्नातक बीएससी की पढ़ाई डीएम कॉलेज मोगा से पूरी करने के पश्चात् स्टैटिस्टिक्स में स्नातकोत्तर की पढ़ाई पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ से पूरी की। इनकी बुद्धि कुशाग्र व स्मृति विलक्षण थी। गणित विषय में प्रथम श्रेणी में स्नातकोत्तर उत्तीर्ण करने पश्चात् सन् 1972 में संघ के विस्तारक बनने का संकल्प लिया, जिसका अनुपालन उन्होंने जीवन पर्यन्त किया।
वे परिश्रमी एवं उच्च जीवट के धनी थे। उनका चिंतन था कि व्यक्ति अनुशासित दिनचर्या से समय का उचित प्रबंधन कर समय को बाँध सकता है। वे कहते थे- ‘सुबह उठण दा वाद्दा है, दिन छत्ती घंटे दा हो जाँदा है’। उन्होंने हिमाचल में संघ कार्य को प्रदेश के दूरस्थ स्थानों तक आपने परिश्रम पूर्वक पहुँचाया। वे मंडी व शिमला में जिला प्रचारक, कांगड़ा के विभाग प्रचारक और फिर हिमगिरि प्रान्त (हिमाचल व जम्मू-कश्मीर) के सह-प्रान्त प्रचारक रहे। इसके बाद आपने पंजाब के प्रांत प्रचारक, उत्तर क्षेत्र प्रचारक प्रमुख, अखिल भारतीय सह बौद्धिक प्रमुख के नाते दायित्व निभाया। वर्तमान में आप राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकरिणी के सदस्य थे। कल 24 अक्तूबर को समाज को जगाने वाले महावीर जी को हृदयाघात ने चिरनिद्रा में सुला दिया।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक पूजनीय मोहन भागवत जी द्वारा भेजा गया शोक संदेश पढ़कर सुनाया गया। सरसंघचालक जी ने अपने सन्देश में महावीर जी को सौम्य शांत प्रसन्नचित स्वभाव वाला व्यक्तित्व बताया। उन्होंने कहा कि संगठन की इच्छानुसार प्रत्येक काम के लिए स्वयम को ढाल लेना उनकी विशेषता थी। जाते जाते नेत्रदान कर वे दो लोगो के जीवन को रोशनमय कर गए।