जयपुर, (विसंकें). सामाजिक समरसता मंच एवं सेवा भारती, गुजरात द्वारा U.P.S.C. एवं G.P.S.C. परीक्षा में इस वर्ष उत्तीर्ण हुए अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों को सम्मानित करने का कार्यक्रम आयोजित किया गया. कार्यक्रम में U.P.S.C. में उत्तीर्ण हुए 4 विद्यार्थी एवं G.P.S.C. में उत्तीर्ण हुए 24 विद्यार्थियों को कार्यक्रम के अध्यक्ष गुजरात के राज्यपाल ओ.पी. कोहली जी, विशेष अतिथि एडि. डायरेक्टर जनरल ऑफ़ पुलिस (गुजरात) अनील प्रथम (IPS) जी की उपस्थिति में सम्मानित किया गया.
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता अखिल भारतीय सह बौद्धिक प्रमुख सुनील भाई महेता ने कहा कि मनुष्य जीवन में तीन पड़ाव आते हैं. पहला पड़ाव तब आता है, जब विद्यार्थी कॉलेज में प्रवेश लेता है. वहां से उसके Career का प्रारंभ होता है. दूसरा पड़ाव आता है – जब कॉलेज पूराकर आर्थिक उपार्जन के लिए कार्य करता है और तीसरा पड़ाव – जब गृहस्थ आश्रम में प्रवेश करता है. तथा परिवार के निर्वहन का दायित्व उस पर आता है. ये तीनों पड़ाव जीवन के Turning Point हैं. और जहाँ Turn आता है, वहीं पर दुर्घटना होने की सम्भावना सबसे ज्यादा रहती है. अत: यहाँ सबसे अधिक सावधानी रखने की आवश्यकता रहती है. इन तीनों पडावों से जब हम निकलते हैं, तब यदि हम ठीक प्रकार से अपने जीवन, अपने Career को संभालेंगे तो सफल रहेंगे.
उन्होंने कहा कि अपनी सफलता के बीच जिनका स्मरण हमें हमेशा रहना चाहिए, उसमें सर्वप्रथम है माता-पिता. जिन्होंने अनेक तकलीफों के बीच हमें अपनी इच्छाओं, अपनी मनोकामनाओं को परिपूर्ण करने के लिए संपूर्ण सबल किया. अतः जीवन में हम चाहे जहाँ पहुंचे, हमेशा माता-पिता के ऋण को याद रखना चाहिए. दूसरा – हमारे शिक्षक, जिन्होंने हमारे अंदर की शक्ति को बाहर निकला, हमें योग्य मार्गदर्शन दिया. उनका भी ऋण हमारे ऊपर हमेशा रहता है. जितने भी सफल महापुरुष हुए हैं, उन सभी ने अपने माता-पिता को, अपने शिक्षकों को अपनी प्रगति का सहभागी बनाया है. आप लोग भी अपने माता-पिता, अपने शिक्षकों को अपनी सफलता के लिए मन से स्मरण करेंगे, यह अपेक्षा है.
सुनील भाई ने कहा कि आपको Career में स्वामी विवेकानंद जी के ये शब्द याद रखने चाहिएं “Be strong, be brave. Strength is life, weakness is death, stand up… stand up…, Be strong India calls for hero’s, be heroic. Stand firm like a rock.” अनेक परिस्थितियों में असमंजस में आएंगे कि क्या करें ? उस समय उपरोक्त शब्द याद रखने की आवश्यकता है. कितनी भी कठिन परिस्थिति हो विचलित नहीं होंगे. समाज के लिए, देश के लिए काम करने के लिए कटिबद्ध रहेंगे.
आपको सभी को साथ लेकर समरसता के भाव के साथ कार्य करने की आवश्यकता है. देश के लिए, समाज के लिए काम करने का अवसर मिला है तब यह आवश्यक है कि पहले भारत को जानो, भारत को जानो यानि भारत के समाज भारत की प्रकृति को जानने की आवश्यकता है. दूसरा भारत को मानो यानि भारत की क्षमता जो कार्य विदेशी कर सकते हैं, वह हम भी कर सकते हैं. एक साथ 100 उपग्रह छोड़ने वाला भारत ही है, हमें अपनी क्षमता पर विश्वास होना चाहिए. तीसरा भारत के बनो अनेक समस्याओं, प्रतिकूलता के बाद भी हम भारतीय हैं यह मानो. क्योंकि जब हम भारत के बनेंगे, उसके बाद ही भारत को बनाने की बात आएगी. आप सभी के हाथ में भारत को बनाने का सुअवसर आया है, मुझे ऐसा लगता है कि इन तीनों बातों का विचार करके आप आगे बढ़ेंगे तो योग्य रीत से जैसा भारत को बनाना है वैसा भारत फिर से एकबार विश्वगुरु के स्थान पर भारत विराजमान होगा.
स्वामी विवेकनंद जी ने कहा है कि भारत का मिशन है – आध्यात्मिकता, दुनिया को आध्यात्मिकता का संदेश भारत ही देगा.
राज्यपाल ओ.पी. कोहली जी ने सभी विद्यार्थियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि आप लोग जनता की अपेक्षाओं को समझकर उन्हें पूरा करने का कार्य करेंगे, ऐसी अपेक्षा है. प्रसाशनिक सेवा सरकार एवं जनता के बीच का सेतु है. जितना यह सेतू मजबूत होगा, उतना ही सरकार को जनता तक पहुंचना आसान होगा.