सभी में एक भाव से देश समतायुक्त और शोषण मुक्त बनेगा – भागवत जी

सरसंघचालक जी ने किया महाराजा छत्रसाल की अष्टधातु की अश्वारोही प्रतिमा का अनावरण

जयपुर (विसंकें)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने 21 मार्च (बुधवार) शाम मऊसहानियां में शौर्य और साहस के प्रतीक बुन्देल केसरी महाराजा छत्रसाल की 52 फीट ऊंची अष्टधातु की अश्वारोही प्रतिमा का अनावरण किया।  इस अवसर पर देश के 16 जाने-माने संतों ने समारोह को गरिमा प्रदान की। 

सरसंघचालक जी ने किया महाराजा छत्रसाल की प्रतिमा का अनावरण

सरसंघचालक जी ने किया महाराजा छत्रसाल की प्रतिमा का अनावरण

सरसंघचालक जी ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ छत्रसाल शौर्य पीठ में स्थापित प्रतिमा का अनावरण करने के बाद कहा कि महाराजा छत्रसाल ने जिस तरह नि:स्वार्थ भाव से सत्य और धर्म के मार्ग पर चलकर उद्यम किया। उसी से हमारी संस्कृति सुरक्षित है। हमें इस अवसर पर उनकी राह पर चलने का संकल्प लेना होगा।  अनादिकाल से भारत में आध्यात्मिक शक्तियों का देश jabalpur-1को बहुमुखी स्थान दिलाने में महत्वपूर्ण योगदान रहा। 

उन्होंने कहा कि भगवान श्री राम अनंत और शास्वत हैं।  समय – समय पर विभिन्न रूपों में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से आकर देश और समाज को दिशा देने का काम भारत के अलावा अन्यत्र कहीं नहीं हुआ। बुन्देलखण्ड की इस भूमि में महाराजा छत्रसाल के आदर्श को जीवित रखने का यह प्रयास किया जा रहा है। सत्य अनुकूल होता है, वही जीता है और उसके लिए ही तपस्या करनी पड़ती है। इसी कारण हम छत्रसाल का स्मरण कर एक गौरव गाथा को स्थापित कर रहे हैं। लेकिन हम भी छत्रसाल जैसे बनें, यह प्रयास करना होगा। उन्होंने कहा कि आज भी यह सब हो सकता है जो उन्होंने किया। सत्य रहेअसत्य जाए, धर्म रहेअधर्म जाए, जब हम उस सत्य के योग्य बन जाते हैं तो सब कुछ होता हुआ देखते हैं। महाराजा छत्रसाल ने इतना उद्यम अपने लिए नहीं किया। केवल छत्रसाल ही नहीं महाराणा प्रताप,शिवाजी आदि अन्य महापुरूषों ने यह सब धर्म की स्थापना के लिए किया था, क्योंकि धर्म और संस्कृति सुरक्षित रहेगी तभी दुनिया रहेगी। इसलिए इस समाज को सुरक्षित रखना है। महाराजा छत्रसाल ने जितना महान त्याग इस क्षेत्र के लिए किया, उसका थोड़ा सा भी अंश हम अपने जीवन में ग्रहण कर लें तो क्षेत्र का कल्याण हो सकता है। उन्होंने जो धर्म बताया उसे स्वयं जिया। उनके मन में स्वार्थअहंकारभय,मजबूरी कुछ भी नहीं था। बस केवल एक बात थी देशसमाजधर्म और संस्कृति को सुरक्षित रखना है। 

डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि कोई भी नेतासरकार और पार्टी से समाज की उन्नति नहीं होतीवह सहायक हो सकते हैं। पूरा समाज जो सोचता है वही होता है।  इसलिए पूरे समाज को एकजुट होने की आवश्यकता है। सारे समाज को जोड़कर पराक्रम करना पड़ेगा। भाषाजातिपंथसंप्रदाय के बावजूद सब में एक भाव होना चाहिए।  तभी देश को समतायुक्त और शोषण मुक्त बनाया जा सकेगा। 

jabalpur-4उन्होंने अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण का उल्लेख करते हुए कहा कि राम जी का मंदिर बनना है, यह इच्छा नहीं संकल्प है और इस संकल्प को हम पूरा करेंगे। राम मंदिर निर्माण की बात 1986 से चल रही है।  लेकिन कठिनाई यह है कि जिन्हें राम मंदिर बनना है, उन्हें खुद कुछ अंश तक राम जैसा बनना पड़ेगा। मंदिर निर्माण में शंका का कोई कारण नहीं है।  सारी परिस्थितियां ठीक होने से मंदिर निर्माण का समय आ गया है। 

पूरे देश में पढ़ाए जाएं महाराजा छत्रसाल

मूलक पीठाधीश्वर वृंदावन के डॉ. राजेन्द्र दास देवाचार्य जी महाराज ने कहा कि मध्यप्रदेश ही नहीं पूरे देश में महाराजा छत्रसाल को पाठ्यक्रम में शामिल कर पढ़ाया जाना चाहिए। महाराणा प्रताप और शिवाजी की तरह महाराजा छत्रसाल ने भी अपने पुरूषार्थ से बुन्देलखण्ड की सीमाओं का विस्तार ही नहीं किया, बल्कि औरंगजेब के कार्यकाल में उसे स्थापित किया। उन्होंने मुगलों की दासता को स्वाभिमान पूर्वक अस्वीकार किया। महाराज ने कहा कि कुछ लोगों ने इतिहास के प्रति अक्षम्य अपराध किए हैं। चंपत राय और महाराजा छत्रसाल को गलत रूप में प्रस्तुत किया गया।  भारत सरकार को इस झूठे इतिहास का अमान्य कर उनका गरिमामय इतिहास सामने लाना चाहिए। 

महाराजा छत्रसाल प्रतिमा का अनावरण समारोह

महाराजा छत्रसाल प्रतिमा का अनावरण समारोह

महाराजा छत्रसाल प्रतिमा का अनावरण समारोह

महाराजा छत्रसाल प्रतिमा का अनावरण समारोह

महाराजा छत्रसाल शोध संस्थान द्वारा लोक गायन के माध्यम से बुन्देलखण्ड की ख्याति फैलाने वाले प्रसिद्ध लोक गायक देशराज पटैरिया जीलेखन कार्य के लिए डॉ. बहादुर सिंह परमार जीसतना के शिक्षाविद् शंकर दयाल भारद्वाज जीमहाराजा छत्रसाल के नाट्य मंचन करने वाले शिवेन्द्र शुक्ला जी,महाराजा छत्रसाल की प्रतिमा का निर्माण करने वालों में फिरोज खान जीशंकर कुमार जीअमर पाल जी, मूर्तिकार दिनेश शर्मा जी को शॉल और सम्मान पत्र भेंटकर सम्मानित किया गया। प्रारंभ में संस्थान के सचिव राकेश शुक्ला जी ने स्वागत किया।  उन्होंने शोध संस्थान की साल की यात्रा पर प्रकाश डाला। अंत में संस्थान के अध्यक्ष भगवत शरण अग्रवाल जी ने आभार ज्ञापित किया। 

आभार

छत्तरपुर (विसंकें)

महाराजा छत्रसाल की अष्टधातु की अश्वारोही प्रतिमा

महाराजा छत्रसाल की अष्टधातु की अश्वारोही प्रतिमा

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