सिन्ध स्मृति दिवस पर संगोष्ठी में भारत माता पूजन व देश भक्ति कार्यक्रम
विसंके जयपुर। सिन्ध की पवित्र भूमि वीरों की भूमि है, जहां लगातार हुये विदेशी आक्रमणों को रोका गया और धोखे से सिन्धुपति महाराजा दाहरसेन पर हमला हुआ और राष्ट्र रक्षा में बलिदान हुये। उनका पूरा परिवार भारत भूमि की रक्षा करते हुये बलिदान हुआ। हमें युवा पीढी को गौरवमीय इतिहास का ज्ञान कराने के साथ ऐसे बलिदानी वीरों से प्रेरणा लेनी है और परिस्थितियों ने हमें जरूर व्यापारी बना दिया परन्तु सिन्ध मिलकर अखण्ड भारत बनेगा यह हमारा संकल्प है। जननी जन्म भूमि स्वर्ग से महान है, सिन्ध के बिना हिन्द अधूरा है। ऐसे विचार भारतीय सिन्धु सभा की ओर से सिन्ध स्मृति दिवस के उपलक्ष में राज्यभर में 42 स्थानों पर आयोजित संगोष्ठीयों में वक्ताओं ने प्रकट किये। प्रदेशाध्यक्ष लेखराज माधू ने जयपुर कार्यक्रम में सम्बोधित करते हुये कहा कि कार्यकर्ता निरंतर सक्रियता से समाज की युवा पीढी में संस्कार देने के साथ संगठन से भी जोडने का कार्य करे। मातृशक्ति का भी सक्रिय सहयोग मिल रहा है। 1979 से सभा की ओर से देश भर में सभी ईकाइयों द्वारा पूज्य सिन्धी पंचायतों, संतो महात्माओं के आर्षीवाद से ऐसे कार्यक्रम किये जा रहे है।

सिन्ध स्मृति दिवस पर संगोष्ठी में हुआ भारत माता पूजन व देश भक्ति कार्यक्रम
फैजाबाद उत्तर प्रदेश से सिंधु गर्जना के सम्पादक व वरिष्ठ साहित्यकार श्री ज्ञानप्रकाश टेकचंदाणी ‘सरल‘ व संगोष्ठी में कच्छ भुज गुजरात से आये वरिष्ठ साहित्यकार श्री कलाधर मुतवा ने सिन्ध के गौरवमयी इतिहास पर विचार प्रकट करते हुये कहा कि सिन्धु संस्कृति प्राचीनतम है व व्यापार का बडा केन्द्र सिन्ध कराची के साथ गांधीधाम रहा है। महंत स्वरूपदास उदासीन आर्शीवचन देते हुये कहा कि सनातन धर्म का ज्ञान परिवारों में कराना व युवाओं को महापुरूषों के जीवन की जानकारी देनी है।
कार्यक्रमों का शुभारंभ ईष्टदेव झूलेलाल व सिन्ध के चित्र पर माल्यार्पण, दीप प्रज्जवलन व भारत माता पूजन से किया गया। सिन्धी बाल संस्कार शिविर में तैयार हुये विद्यार्थियों की ओर से देशभक्ति आधारित कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया। सिन्ध के गौरवमयी इतिहास को स्क्रीन पर भी दिखाया गया। अन्त में सामूहिक राष्ट्रगान के साथ स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई दी गई।
राज्यभर में श्रीगंगानगर जिले में 10 ईकाईयों में कार्यक्रम के साथ अजमेर, जयपुर महानगर में चार कार्यक्रम, बीकानेर, हनुमानगढ, नोहर, अलवर जिले में 6, भीलवाडा किशनगढ, ब्यावर, कोटा, उदयपुर, बासंवाडा, झालावाड, बून्दी, भरतपुर, चुरू, बाडमेर, बालोतरा, जोधपुर, पाली, सिरोही, चित्तौडगढ, निम्बाहेडा, प्रतापगढ, डूंगरपुर सहित विभिन्न जिलों में आयोजित किये गये।