जयपुर (विसंकें)। सेवाभारती द्वारा कल सीता नवमी के अवसर पर समाज की भिन्न भिन्न 11 बिरादरियों के 41 वर-वधुओं का सामूहिक विवाह संस्कार एक ही पण्डाल में पूज्य संत वृन्दों के आशीष व सामाजिक कार्यकर्ताओं की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ। वर वधुओं को पूज्य संत श्री अकिंचन महाराज, संत श्री मुन्नादास जी, संत श्री हरिशंकरदास एवं संत श्री मनीषदास जी का आशीर्वाद प्राप्त हुआ।
इस अवसर पर नव दम्पति में पर्यावरण के प्रति चेतना विकसित हो इस हेतु प्रत्येक वर एवं वधु को 82 गमले तुलसी पौधे के वितरित किए गए।
सेवा भारती द्वारा सर्वजातीय विवाह की इस यात्रा का शुभारम्भ 10 वर्ष पूर्व समाज में सेवा, समरसता व अनावश्यक व्यय से बचने के उद्धेश्य से राजस्थान के भवानी मण्डी से हुआ था। अब तक इस प्रयत्न द्वारा पूरे राजस्थान के 13 जिलों के 25 स्थानों के 1897 जोड़े विवाह के पवित्र बन्धन में बंध चुके हैं।
इस पहल से लोगों को खर्चीले वैवाहिक आयोजन से राहत मिली है। बहुत ही सामान्य पंजीयन शुल्क लेकर विदाई के पश्चात गृहस्थी के लिए आवश्यक सभी सामग्री समाज के सहयोग से नवदम्पति को भेंट की जाती है।
सामाजिक न्याय विभाग का प्रमाणीकरण भी दिलाया जाता है। इतना ही नहीं राजस्थान के ग्रामीण अंचलों जहां यदा कदा अनुसूचित वर्ग के दूल्हों को घोड़ी से उतारने की दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटती है वहीं यहां समाज के सभी वर्गों की उपस्थिति में सम्मानपूर्वक वैवाहिक अनुष्ठान पूर्ण होकर उनके जीवन की मधुर स्मृति बनता है।