विसंके जयपुर 27 सितम्बर। छोटी काशी की धरा पर आराध्य देव श्री गोविन्द देव जी के सानिध्य में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों का विशाल घोष शिविर 2 से 5 नवम्बर तक केशव विद्यापीठ जामडोली में होने जा रहा है। घोष शिविर में तीनों दिन राष्ट्रीय स्वयंसवेक संघ के पूज्य सरसंघचालक डॉ. मोहनराव भागवत का सानिध्य प्राप्त होगा। शिविर में जयपुर प्रान्त के करीब दो हजार घोष वादक सहभाग करेंगे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उत्तम संचलन और सांघिक कार्यक्रमों में घोष की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है।
जयपुर प्रान्त संघचालक डॉ. रमेश अग्रवाल ने बताया की इस कार्यक्रम का विधिवत प्रारम्भ आज जयपुर के आराध्य श्री गोविन्द देव जी को निमन्त्रण देकर किया गया। इस अवसर पर संघ के स्वयंसेवक घोष वादन के साथ जलेब चौक से गोविन्द देव जी मन्दिर पहुँचे। जयपुर प्रान्त बनने के बाद यह घोष का पहला विशाल शिविर होगा। गोविन्द देव जी की नगरी में सम्पन्न होने वाले इस शिविर को “स्वर गोविन्दम्-2017” का नाम दिया गया है। तीन दिन के इस शिविर में घोष वादकों का पथ संचलन जयपुर में रहेगा। शिविर में प्रत्येक शाखा से 12 वर्ष से अधिक आयु के दो वंशी वादकों को भी बुलाया गया है।
घोष (बैण्ड) संघ में शारिरीक विभाग का अभिन्न अंग है। संघ के घोष में आनक (ड्रम), पणव (वास ड्रम), शंख (विगुल), वंशी, झांझ, त्रिभुज मुख्य पारम्परिक वाद्य्यों के रूप में सम्मिलित है। साथ में नूतन वाद्य तूर्य, स्वरद, नागांग, गौमुख भी शामिल है। स्वयंसेवकों द्वारा इन सभी वाद्यों से भारतीय धुनों पर आधारित और स्वयंसेवकों द्वारा ही निर्मित भारतीय रचनाओं का वादन किया जाता है। इन रचनाओं के अलग-अलग नाम भी होते हैं जैसे किरण, श्रीराम, उदय, सोनभद्र, चेतक, मीरा, शिवरंजनी, तिलंग व हल्दीघाटी आदि।
इस शिविर के लिए एक गीत की रचना भी हुई है जिसमें संघ के वर्तमान कार्य का स्वरूप, स्वयंसेवक के गुण एवं घोष का महत्व दर्शाया गया है। राजस्थानी बोली की मिठास से सजे इस गीत के बोल “कदम-कदम री साधना, आ देश री आराधना………. स्वर गोविंदम् नाद रे’’ है।
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