स्वानुशासन, संस्कार व संगठन की त्रिवेणी

Rashtra Sevika Samiti-Path SanchalanPath Sanchalan Rashtra Sevika Samitaजयपुर (विसंकें)। भारतीय महिलाओं के सबसे संगठन राष्ट्र सेविका समिति के वर्ग में प्रशिक्षण लेने आयी बालिकाओं और युवतियों ने आज वर्ग के 12 वें दिन समिति के गणवेश ( निर्धारित पोशाक ) में पूर्वी दिल्ली में पथ संचलन किया। पथ संचलन वर्ग में लिए गए विविध प्रशिक्षणों और कलाओं की विहंगम प्रस्तुति होती है। शाहदरा के गीता बाल भारती स्कूल से आरंभ हो कर लगभग ढ़ाई किलोमीटर का रास्ता तय करके पथ संचलन का समापन गीता बाल भारती स्कूल पर ही हुआ ।

प्रशिक्षु बालिकाओं और युवतियां अनुशासनबद्ध हो कर शाहदरा की सड़कों पर देश भक्ति के गीत गाते हुए अनुशासित सिपाहियों की तरह निकलीं तो उन्हें देखने हज़ारों की भीड़ सड़कों के किनारे जुट गयी और उन्होनें भारत माता की जय के उद्घोष किए। जीप, स्कूटर और पैदल मार्च में चल रही समिति की प्रशिक्षिकाओं ने प्रदर्शन से लोगों का मन मोह लिया ।

इस अवसर पर राष्ट्र सेविका समिति की दिल्ली प्रान्त कार्यवाहिका सुनीता भाटिया ने बताया ने बताया की नारी अबला नहीं सबला है, राष्ट्र सेविका समिति ऐसे प्रशिक्षण वर्गों में नारी में छुपी शक्ति को जागृत कर राष्ट्र निर्माण का कार्य करती हैं, क्योंकि नारी ही परिवार को सबसे पहले संस्कार देती हैं इसलिए नारी सबल बनेगी तो समाज और फिर राष्ट्र भी  सबल बनेगा।

राष्ट्र सेविका समिति गर्मियों की छुट्टियों में हर वर्ष बालिकाओं और युवतियों के लिए वर्ग का आयोजन करती है। लगभग 15 दिन के वर्ग में देश की स्त्री शक्ति को शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक रूप से सशक्त किए जाने का प्रशिक्षण दिया जाता है। ताकि भविष्य में वो एक अच्छे समाज और अच्छे राष्ट्र के निर्माण में अपना अमूल्य योगदान दे सकें। इस वर्ष 19 मई से पूर्वी दिल्ली के शाहदरा में वर्ग चल रहा है जिसका समापन 2 जून को होगा।  वर्ग में लगभग 300 बालिकाएं  और युवतियां भाग ले रही हैं। वर्ग की दिनचर्या सेना की तरह अनुशासित होती है सभी को सुबह चार बजे सोकर उठना होता है। पांच बजे से योग और चिंतन। उसके बाद ध्वज को प्रणाम करके शाखा लगती है। लगभग डेढ़ घंटे की शाखा के बाद नाश्ता और फिर कुछ समय के विराम के बाद देश विदेश की परिस्थितों पर बौद्धिक वर्ग चलते हैं। दोपहर के भोजन के बाद विश्राम और फिर शाम चार बजे से रात के 8.30 बजे तक वर्ग की विभिन्न गतिविधियां होती हैं। विशेष बात ये है कि यहां सबको आत्मनिर्भर बनने, सेल्फ डिफैंस, आदि की ट्रेनिंग के साथ-साथ उनके भीतर छुपी गायन, वादन, नृत्य और कला को भी निखारा जाता है। सामाजिक समरसता का यहां अनूठा संगम देखने को मिलता है ।

दिल्ली प्रांत की प्रमुख कार्यवाहिका श्रीमति सुनीता भाटिया, सह कार्यवाहिका श्रीमति विदुषी शर्मा और प्रांत प्रचारिका सुश्री विजया शर्मा की देख-रेख और नेतृत्व में ये वर्ग चल रहा है। वर्ग अधिकारी दिल्ली की जानी मानी दंत चिकित्सक श्रीमति सीमा-कपिला हैं। समिति की स्थापना 1936 में स्वर्गीय श्रीमति लक्ष्मी बाई केलकर ने महाराष्ट्र के वर्धा में की थी। आठ दशक में समिति अब विशाल रूप ले चुकी है देश विदेश में समिति की अनेक शाखाएं हैं और समिति हर वर्ग की महिलाओं को साथ लेकर चल रही है। लक्ष्मी बाई केलकर का मानना था कि महिलाएं देश की आधार शक्ति हैं और परिवार का केंद्र बिंदु हैं महिलाएं सशक्त होंगी तो समाज और देश सशक्त होगा।

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