जयपुर, 9 मई। विशिष्टाद्वैत के प्रवर्तक स्वामी रामानुजाचार्य ने न केवल आध्यात्म के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान दिया बल्कि सम्पूर्ण भारतवर्ष में भक्ति की गंगा बहाकर सामाजिक समरसता का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया। स्वामी रामानुजाचार्य ने सत्संग समाज से वर्ग—भेद मिटाने के लिये हिन्दू समाज में काम किया। ये कहना है विश्व हिन्दू परिषद के केन्द्रीय संगठन मंत्री विनायक राव देशपाण्डे का। वे सोमवार को जयपुर के बनीपार्क स्थित आदर्श विद्या मंदिर में विहिप द्वारा आयोजित स्वामी रामानुजाचार्य की 1000वीं जयंती समारोह में बोल रहे थे।
उन्होंने यह भी कहा कि वस्तुतः चित अर्थात् आत्म—तत्व तथा अचित अर्थात् जड़ तत्व दो पृथक तत्व न होकर एक ब्रह्म के ही दो स्वगत भेद हैं। यह विशिष्ट प्रकार का अद्वैत ही श्री रामानुजाचार्य का विशिष्टाद्वैत सिद्धान्त है। श्री देशपाण्डे ने यह भी कहा कि स्वामी रामानुजाचार्य के मार्ग का अनुशरण करना ही स्वामी राजानुजाचार्य की सच्ची जयंती मनाना है।
इस अवसर पर पूज्य महाराज हरिशंकरदास जी वैदान्ती ने आशीर्वचन कहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता रा.स्वयंसेवक संघ, राजस्थान के बौद्धिक शिक्षण प्रमुख श्री कैलाश जी ने की। विहिप के जयपुर प्रान्त अध्यक्ष नरपत सिंह शेखावत भी मंच पर उपस्थित थे।