जयपुर, 10 जनवरी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राजस्थान क्षेत्र के क्षेत्र प्रचारक निंबाराम ने कहा कि देश में आधुनिकता-प्रगतिशीलता के नाम पर ‘अरबन नक्सली’ के रूप में एक लिबरल फौज खड़ी हो गई है जो, यदाकदा जब उनको मौका मिलता हैं भारत को नीचा दिखाते हैं। यह लोग ये सोचते हैं कि भारत का अपना तो कुछ था ही नहीं। अंग्रेज आ गए जो भारत का कायाकल्प करके चले गए। ऐसी सोच रखने वालों को एक बार भारत का इतिहास अवश्य पढ़ लेना चाहिए।
क्षेत्र प्रचारक निम्बाराम बुधवार को बिड़ला ऑडिटोरियम में आयोजित आदर्श विद्या मंदिर के पूर्व छात्रों के सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनाई है। उसमें एक अपेक्षा व्यक्त की है कि, प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में होनी चाहिए। ये अभिभावक तय करें। लेकिन भारत में रहने वालों की मातृभाषा अंग्रेजी नहीं हो सकती।
उन्होंने आदर्श विद्या मंदिर के पूर्व छात्रों का उदाहरण देते हुए कहा कि आज चारों और अंग्रेजी माध्यम को लेकर हौ हल्ला मच रहा हैं। आज मंच पर जितने भी अभूतपर्वू छात्र विराजमान हैं वे सभी हिन्दी माध्यम से पढ़कर गए हैं, जो देश के शीर्ष स्थानों पर बैठकर एक नेतृत्व प्रदान कर रहे हैं। ये एक प्रमाण है कि मातृभाषा में शिक्षा लेने वाला पिछड़ा या कमजोर नहीं होता। ‘विद्याभारती’ का एक संकल्प हैं, राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली का विकास करना जो ऐसी युवा पीढ़ी का निर्माण करें, जो हिन्दुत्व निष्ठ एवं राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत हो। जो शारीरिक, प्राणिक,मानसिक, बौध्दिक तथा आध्यात्मिक दृष्टि से विकसित हो। उन्होंने नालंदा विश्व विद्यालय के बारे में कहा कि, यहां पर सिर्फ किताबें ही नहीं पढ़ाई जाती थी बल्कि सभी तरह का ज्ञान दिया जाता था। आज हमारे यहां जिसे कौशल विकास कहा जा रहा हैं, वो भी इस विद्यालय में सीखाया जाता था, इतना ही नहीं शस्त्र, विज्ञान की भी शिक्षा दी जाती थी। ऐसा था हमारा भारत। वैसा भारत फिर बनना चाहिए। केवल एक स्कूल या समिति से ही ये संभव नहीं हो सकता हैं, इसके लिए संपूर्ण समाज को भागीदार बनना होगा। इसके लिए एक पंक्ति हैं, जो हम सभी का ध्यान खींचती हैं। ‘वर्तमान चुनौतियों का मुकाबला सफलतापूर्वक कर सके, इस प्रकार के छात्रों का निर्माण विद्याभारती व आदर्श विद्या मंदिर करता है। इसका मतलब है देशकाल परिस्थितियों को ध्यान रखते हुए ‘युगानुकुल शिक्षा’ दी जाए। इस पर विद्याभारती ने शुरु से ही जोर दिया है। शिक्षा तो कहीं भी मिल जाएगी। लेकिन जो संस्कार मिलें हैं जिसने नींव को मजबूत किया हैं वो आदर्श विद्या मंदिर से मिले हैं।
उन्होंने कहा कि हम परंपराओं की ओर लौट रहे हैं। परंपराएं कभी खराब नहीं होती, किंतु उसमें जो रुढिवादिता और कुरीतियां आ जाती हैं वो खराब होती हैं। इसलिए अच्छी परंपराओं को लागू करते हुए समरस, सुसंपन्न और संस्कारित राष्ट्र जीवन यदि खड़ा करना है तो रुढ़ियों व कुरीतियों को त्याग करके जो अच्छाईयां है, जिसे हम हिन्दुत्व कहते हैं। इसकी ओर आना होगा।
विशिष्ट अतिथि के रूप में पर्यावरण गतिविधि के अखिल भारतीय संयोजक गोपाल आर्य ने पूर्व छात्रों के समक्ष अपने दायित्वों की ओर इशारा करते हुए कहा कि, क्या एक पूर्व छात्र के मन में ये विचार नहीं आते कि जहां मैंने शिक्षा ली जहां पर मेरे अंदर संस्कारों का बीजारोपण हुआ उसके लिए मेरा भी कुछ कर्तव्य होना चाहिए। इसके लिए किसी को कुछ कहने की आवश्यकता हैं क्या। ये स्वयं सोचने की आवश्यकता है। आगे ये कभी कहने में नहीं आए कि, हमारे जमाने में तो आदर्श विद्या मंदिर बहुत अच्छा था लेकिन आज क्यों नहीं हो सकता हैं ये? उन्होंने कहा कि किसी भी कैम्ब्रिज और आईआईटी संस्थान की एलुमनी को देख लीजिए जब छात्र ये कहते हैं कि, मैं अपने संस्थान के लिए योगदान देता हूं। हम आज यहां पर इतनी बड़ी शक्ति के रूप में इकट्ठे हुए हैं, तब मुझे ये कहना जरूरी लगता है कि, अपनी क्षमतानुसार कुछ भी सहयोग करें। डिग्री और योग्यता मिल सकती हैं, पर क्या कहीं वैल्यूज मिल सकते हैं। ये जो चरित्र निर्माण की प्रयोगशाला हैं, ये ठीक से चल सके इसके लिए हमारा दायित्व बनता हैं। समाज में जो देने वाले लोग हैं, वे ऐसे विद्यालयों के लिए आगे आएंगे तो निश्चित ही इस देश का भविष्य, पीढ़ी ठीक दिशा में जाएगी।
इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लेकर आए। इसका उद्देश्य भावी पीढ़ी को गुलामी की मानसिकता से बाहर निकालना है। राष्ट्र के प्रति गर्व हो यह भाव नई पीढ़ी में जगाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि राजस्थान में सरकार नई शिक्षा नीति लागू करेगी।
कार्यक्रम को स्वागत समिति के अध्यक्ष डॉ. एम.एल. स्वर्णकार, भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी मनोज जोशी, डॉ. देवेंद्र भसीन ने भी संबोधित किया। प्रबन्ध समिति के संजीव भार्गव ने कार्यक्रम की प्रस्तावना रखी।