विदेश राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह जी ने अन्तरराष्ट्रीय सहयोग परिषद द्वारा चौ. चरण सिंह विश्वविद्यालय के बृहस्पति भवन में ‘‘चाबहार संधि: भू – राजनीतिक और रणनीतिक महत्व’’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि ‘‘चाबहार समझौता भौगोलिक एवं सामरिक दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण है, इससे समुद्री क्षेत्र में पड़ोसी देशों का हस्तक्षेप कम होगा तथा भारत, अफगानिस्तान, रूस एवं यूरोप से अपने व्यापारिक संबंधों को नये आयाम दे सकेगा. भारत को इस मार्ग से रूस से व्यापार करने में लगभग 30 प्रतिशत भाड़े में कमी आएगी, साथ ही इस समझौते से ईरान से आने वाली गैस पाईपलाईन को बिना पाकिस्तान होते हुये भारत लाया जाएगा. समझौते के तहत 10 साल तक भारत के किसी भी कार्गो पर किसी भी प्रकार कोई प्रतिबन्ध नहीं होगा. भारतीय कम्पनियां चाबहार पर अपने संयन्त्र स्थापित कर रही हैं, जिससे कि लोगों को रोजगार के साथ ही आर्थिक लाभ होगा. चीन के मुकाबले ये मार्ग बहुत ही छोटा एवं सुविधाजनक होगा.’’
कार्यक्रम के विशिष्ट वक्ता मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) संजीव शुक्ला ने कहा कि इस समझौते का राजनीतिक, आर्थिक और सामरिक महत्व है. चीन जिस प्रकार से भारत को घेर रहा था, इससे उसका एकाधिकार समाप्त हो जाएगा. गोष्ठी में मेरठ हापुड़ लोकसभा से सांसद राजेन्द्र अग्रवाल, विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एनके तनेजा ने भी अपने विचार रखे. कार्यक्रम के प्रारम्भ में अन्तरराष्ट्रीय सहयोग परिषद के प्रतिनिधि के रूप में दिल्ली से पधारे टीएन मल्होत्रा ने ‘‘अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग परिषद’’ के बारे में जानकारी प्रदान की. संगोष्ठी के अन्त में प्रो वीके मल्होत्रा ने गणमान्य अतिथियों सहित संगोष्ठी में उपस्थितजनों का धन्यवाद किया.