भागलपुर (विसंके)। संत और संघ मिलकर देश का विकास करेंगे। संघ सिर्फ मेहनत कर सकता है जबकि संत साधना करते हैं। साधना करनेवाले ही मार्गदर्शन करते हैं। संतों के मार्गदर्शन के आलोक में ही संघ श्रम करके देश का विकास कर रहे हैं। उक्त बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के परम पूज्य सरसंघचालक डॉक्टर मोहन भागवत ने भागलपुर के कुप्पाघाट स्थित महर्षि मेंहीं आश्रम में कही।
पूज्य संतों के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पूज्य सरसंघचालक जी ने कहा कि धर्म का तत्व गुप्त होता है। इसलिए सामान्य लोग श्रेष्ठ जन जैसा चलते हैं। श्रेष्ठ जन वही हैं जो धर्म के तत्व की नित्य अनुभूति करते हैं क्योंकि धर्म सत्य पर आधारित है। अर्थात जो सत्य के निरंतर संपर्क में रहते हैं, वही संत हैं। इसलिए संत प्रमाण होते हैं कि जीवन कैसे जीना चाहिए?
उन्होंने इस अवसर पर महर्षि मेंहीं के जीवन पर आधारित एक फिल्म का टीजर भी जारी किया। उन्होंने इसके निर्माता को शुभकामना दी और कहा कि दुनिया को जीवन की शिक्षा देना सभी भारतवासियों का कर्त्तव्य है। और यही अपना धर्म है। पूज्य महर्षि जी ने जैसा जीवन जिया है, वह हम सभी के लिए अनुकरणीय है। पूज्य महर्षि मेंहीं के जीवन का कुछेक अंश भी हम अपने जीवन में ग्रहण कर लें तो हमारा जीवन धन्य हो जायेगा। उन्होंने कहा कि युवाओं को कुछ इस तरह की फिल्म ही देखनी चाहिए, वहीं सनातन धर्म पर भी उन्होंने कहा कि सनातन धर्म सभी धर्म में सर्वाेपरि है।
भागलपुर के महर्षि मेंहीं आश्रम में पूज्य सरसंघचालक जी का साल भर के अंदर दूसरी बार आगमन हुआ है। उनके आगमन पर कुप्पाघाट के महामंत्री और सभी साधु संतों ने उनका जोरदार स्वागत किया, इसके बाद उन्होंने कुप्पाघाट में महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के निवास स्थल का भ्रमण किया। यहां के वर्तमान आचार्य हरिनंदन बाबा के निवास स्थल भी पहुंचे, जहां उन्होंने हरिनंदन बाबा का कुशलक्षेम जाना। उन्होंने महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के समाधि स्थल पहुंचकर पुष्पांजलि भी अर्पित किया।