विसंकेजयपुर
मेरठ, 26 जून। ‘भारत विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता है। भारत में पुरातत्व विभाग द्वारा खोजे गए कई ऐसे प्रमाण मिले हैं जो कम से कम आठ हजार वर्ष पुराने हैं। इससे यह सिद्ध होता है कि भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति प्राचीनतम है। इस बात का हमें गर्व होना चाहिए कि महाभारत एवं रामायण की सार्थकता आज पूरा विश्व मान रहा है।’ यह बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचारक श्री आलोक कुमार ने कही। वे रविवार को शताब्दीनगर में जारी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, मेरठ प्रांत के संघ शिक्षा वर्ग—प्रथम वर्ष के समापन समारोह में मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे।
श्री आलोक कुमार ने कहा कि भारत बारह सौ वर्षों तक अनेक आक्रमण झेलने के बाद भी नहीं मिटा, क्योंकि भारतीय समाज की मूल अवधारणा हिन्दू संस्कृति है और इस संस्कृति को संगठित करने में ऋषियों एवं संतों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। आज संघ का विचार परिवार लगभग दस करोड़ का है। दुनिया के 90 देशों में संघ का कार्य किसी न किसी रूप में चल रहा है और चालीस देशों में तो गणवेश पहनकर स्वयंसेवक समाज के बीच संघ का कार्य कर रहे हैं।
गुरूकुल प्रभात आश्रम के कुलाधिपति स्वामी विवेकानन्द ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि संगठन सफलता का आधार है। संघ के कार्य की सराहना करते हुए कार्यक्रम में सम्मिलित प्रतिभागियों को कहा कि आप सभी को समाज का संगठन करना है। हिन्दू संस्कृति की विरासत को आगे ले जाना है।
इस दौरान मंच पर मा. क्षेत्रीय संघचालक डॉ. दर्शन लाल अरोड़ा जी, मा.प्रान्त संघचालक सूर्यप्रकाश टोंक जी, मा.विभाग संघचालक जतन स्वरूप जी एवं वर्गाधिकारी मा.सत्यवीर जी भी उपस्थित थे। समापन कार्यक्रम के दौरान शिक्षार्थी स्वयंसेवकों की ओर से विभिन्न शारीरिक एवं बौद्धिक कार्यक्रमों का शानदार प्रदर्शन किया गया। इस अवसर पर सैकडों की संख्या में समाज—बंधु भी उपस्थित थे।
‘संघे शक्ति कलौयुगे’
ऋग्वेद के श्लोक की व्याख्या करते हुए श्री आलोक कुमार ने कहा कि सतयुग में ज्ञान की शक्ति थी, त्रेता में मंत्र शक्ति बना, द्वापर में युद्ध शक्ति का प्रतीक बना तथा आज कलयुग में ‘संघे शक्ति कलौयुगे’ यानि संगठन में शक्ति है। आज संगठन में शक्ति है। आज यह बात विश्व स्वीकार कर रहा है,जबकि संघ तो इस बात को अपने शुरूआती दौर से कहता आ रहा है।


मेरठ, 26 जून। ‘भारत विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता है। भारत में पुरातत्व विभाग द्वारा खोजे गए कई ऐसे प्रमाण मिले हैं जो कम से कम आठ हजार वर्ष पुराने हैं। इससे यह सिद्ध होता है कि भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति प्राचीनतम है। इस बात का हमें गर्व होना चाहिए कि महाभारत एवं रामायण की सार्थकता आज पूरा विश्व मान रहा है।’ यह बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचारक श्री आलोक कुमार ने कही। वे रविवार को शताब्दीनगर में जारी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, मेरठ प्रांत के संघ शिक्षा वर्ग—प्रथम वर्ष के समापन समारोह में मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे।
श्री आलोक कुमार ने कहा कि भारत बारह सौ वर्षों तक अनेक आक्रमण झेलने के बाद भी नहीं मिटा, क्योंकि भारतीय समाज की मूल अवधारणा हिन्दू संस्कृति है और इस संस्कृति को संगठित करने में ऋषियों एवं संतों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। आज संघ का विचार परिवार लगभग दस करोड़ का है। दुनिया के 90 देशों में संघ का कार्य किसी न किसी रूप में चल रहा है और चालीस देशों में तो गणवेश पहनकर स्वयंसेवक समाज के बीच संघ का कार्य कर रहे हैं।
गुरूकुल प्रभात आश्रम के कुलाधिपति स्वामी विवेकानन्द ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि संगठन सफलता का आधार है। संघ के कार्य की सराहना करते हुए कार्यक्रम में सम्मिलित प्रतिभागियों को कहा कि आप सभी को समाज का संगठन करना है। हिन्दू संस्कृति की विरासत को आगे ले जाना है।
इस दौरान मंच पर मा. क्षेत्रीय संघचालक डॉ. दर्शन लाल अरोड़ा जी, मा.प्रान्त संघचालक सूर्यप्रकाश टोंक जी, मा.विभाग संघचालक जतन स्वरूप जी एवं वर्गाधिकारी मा.सत्यवीर जी भी उपस्थित थे। समापन कार्यक्रम के दौरान शिक्षार्थी स्वयंसेवकों की ओर से विभिन्न शारीरिक एवं बौद्धिक कार्यक्रमों का शानदार प्रदर्शन किया गया। इस अवसर पर सैकडों की संख्या में समाज—बंधु भी उपस्थित थे।
‘संघे शक्ति कलौयुगे’
ऋग्वेद के श्लोक की व्याख्या करते हुए श्री आलोक कुमार ने कहा कि सतयुग में ज्ञान की शक्ति थी, त्रेता में मंत्र शक्ति बना, द्वापर में युद्ध शक्ति का प्रतीक बना तथा आज कलयुग में ‘संघे शक्ति कलौयुगे’ यानि संगठन में शक्ति है। आज संगठन में शक्ति है। आज यह बात विश्व स्वीकार कर रहा है,जबकि संघ तो इस बात को अपने शुरूआती दौर से कहता आ रहा है।


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