कानपुर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, कानपुर प्रांत द्वारा आयोजित स्वर संगम घोष शिविर के समापन समारोह में सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि अभी आपने घोष का वादन देखा, किंतु इसके पीछे संस्कार तथा अनुशासन छिपा है जो सबको साथ लेने का मार्ग प्रशस्त करता है.
अपने देश में रण संगीत की पुरानी परंपरा है. भगवद्गीता में पणव, पाञ्चजन्य तथा शंखाश्चय आदि ऐसे नाम आते हैं. अनेक एकल गीत, संगीत, घोष आदि के माध्यम से संघ संगीत का एक घराना बन गया है. भारतीय संगीत में रण संगीत भी है. संघ के संगीतकार व्यवसायिक संगीतकार नहीं हैं. संगीत एक कला है. जिसमें भारतीय जीवन पद्धति, जीवन संस्कार, तथा जीवन मूल्य समाहित हैं. सुंदर गीत के माध्यम से वातावरण बनता है तथा भाव पैदा होता है. जैसे ए मेरे वतन के लोगों…. ऐसा भाव भाषण से नहीं आता है. देश को महान बनाना है तो समाज संस्कारित होना चाहिए. संगीत इसका एक माध्यम है.
संघ में व्यक्तिगत वादन नहीं होता है. सभी मिलकर वादन करते हैं और ऐसे ही वादन करते हुए सबके मन आपस में मिल जाते हैं. एक साथ किसी स्थान पर एकत्रित होना, साथ में मिलकर रहना तथा मिलकर कुछ श्रेष्ठ करना यही संघ की पद्धति है. संघ में उपदेश से नहीं वरन आचरण से तथा उदाहरण प्रस्तुत कर के सिखाया जाता है.
उन्होंने कहा कि संगीत एक कला है और भारतीय कला में सत्यम, शिवम, सुंदरम की धारणा है. देश को बड़ा बनाना है, तो हमें अच्छा, संस्कारी बनना होगा. स्वार्थी बनकर देश को बड़ा नहीं बनाया जा सकता. साथ में मिलकर एक दूसरे के साथ आगे बढ़ना ही संघ है. संघ में घोष वादन का मतलब सबको साथ लेकर चलना है. संघ में स्वर संगम संस्कारों का कार्यक्रम है, इससे स्वयंसेवकों में चारित्रिक विकास होता है.
10 प्रतिशत लोग दुष्ट होते हैं, 10 प्रतिशत ही संत समान होते हैं. 80 प्रतिशत लोग अच्छा बनना चाहते हैं, वो देख कर अच्छा बनते हैं. जो वादन सीखने आए हैं, इनमें पहली बार सीखने वाले भी हैं. आज जो प्रदर्शन हुआ, वह अच्छा था. लेकिन यदि मौसम खराब नहीं होता और यह प्रदर्शन मैदान में रहता, तो और अच्छा लगता. मिलकर जो परिश्रम किया है, वो कभी व्यर्थ नहीं जाएगा. रोज की संस्कार साधना पुरुषों के लिए संघ में और महिलाओं के लिए राष्ट्र सेविका समिति में होती है. समाज के काम में दोनों मिलकर कार्य करते हैं.
शिविर में आए प्रतिभागियों में से चयनित घोष वादकों ने अपनी कला का प्रदर्शन भी किया. कार्यक्रम में प्रमुख रूप से क्षेत्र संघचालक वीरेंद्रजीत सिंह जी, क्षेत्र प्रचारक अनिल जी, प्रांत संघचालक ज्ञानेंद्र सचान जी, प्रांत प्रचारक श्रीराम जी, सहित अन्य उपस्थित रहे.