—लंदन की सेंट जेम्स स्कूल में संस्कृत भाषा का अभ्यास
—वैदिक मंत्रों का उच्चारण धारा—प्रवाह करते है यहां के बच्चें
विसंकेजयपुर
लंदन, 13 जुलाई। भले ही भारत में विद्यार्थी दिन—प्रतिदिन अपनी देववाणी संस्कृत से दूर होते जा रहे हो लेकिन लंदन के सेंट जेम्स विद्यालय के विद्यार्थियों के साथ ऐसा नहीं है। इस स्कूल में पढने वाले विद्यार्थी प्रतिदिन संस्कृत भाषा का तल्लीनता से अभ्यास कर रहे हैं जो भारत में बहुत कम देखने को मिल रहा है।
कभी हिन्दुस्थान में जनवाणी रही संस्कृत भाषा को विदेशियों द्वारा अपनाने की बात हमको गौरवान्वित करनेवाली तो है ही लेकिन एक सीख भी देती है। संस्कृत भाषा में ऐसा क्या है जो विदेशी अपने बच्चों को पढा रहे हैं। वहां उनके पाठ्यक्रम में संस्कृत भाषा को शामिल किया जा रहा है। प्रतिदिन वैदिक मंत्रों का अभ्यास जारी है। संस्कृत भाषा के विकास की यदि बात की जाये तो जर्मनी, इजरायल और ब्रिटेन में कई विश्वविद्यालय ऐसे है जहाँ संस्कृत उनके सिलेबस की मुख्य भाषा है। अगर ये सब सही है तो भारत में क्यों नहीं। ऐसी क्या मजबूरी है जिसके चलते भारत के विद्यार्थियों को संस्कृत भाषा से दिनों—दिन दूर किया जा रहा है। अंग्रेजी माध्यम के नाम पर यह कोई विदेशियों की चाल है या नहीं यह बात तो भविष्य के गर्भ में है लेकिन इतना सत्य है कि विदेशी हमारी जनवाणी संस्कृत, भारतीय संस्कृति,हिन्दू जीवन मूल्य आदि अपनाते जा रहे हैं और कहीं न कहीं हमको इन अमूल्य, प्रमाणिक और पूर्व वैज्ञानिक बातों से दूर किया जा रहा है।
कहीं पेटेंट तो नहीं!
भारत में विरले ही व्यक्ति है जो संस्कृत बोलते है और जो बोलते है उन्हें कोई तवज्जो भी नहीं देता। समय रहते यदि संस्कृत का प्रचार प्रसार नहीं किया गया तो हम अपनी अमूल्य भाषा से हाथ धो बैठेंगे। वह दिन दूर नहीं जब विदेशों में संस्कृत भाषा को पेटेंट करा लिया जाए। जानकारों की मानें तो निश्चित ही इस दिशा में विदेशों में प्रयास चल रहा है।
हम भी सीख सकते हैं संस्कृत
भारत में संस्कृत पुन: जनवाणी बने इसके लिए संस्कृत भारती आपनी स्थापना से ही प्रयासरत है। इस दिशा में संस्कृत भारती ने काफी हद तक सफलता भी प्राप्त की है। संस्कृत भारती की ओर से देशभर में समय—समय पर ‘संस्कृत संभाषण शिविर’ लगाये जाते हैं ताकि बोलचाल में संस्कृत बोल सके। इसके अलावा आॅपन यूनिवर्सिटी की भांति संस्कृत भारती घर बैठे भी संस्कृत सम्भाषण पाठ्यक्रम उपलब्ध कराती है। तय नियमों का पालन करते हुए इच्छुक व्यक्ति घर बैठे भी संस्कृत सीख सकता है।