—संघ के सरसंघचालक का चार दिवसीय प्रवास
विसंकेजयपुर
भीलवाडा, 26 नवम्बर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ.मोहन राव भागवत ने कहा कि स्वयंसेवकों द्वारा सामाजिक समरसता के लिए किये जा रहे सदप्रयासों की झलक सर्वत्र नजर आने लगी है। डॉ.भागवत अपने राजस्थान प्रवास के तीसरे दिन कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि संगत एवं पंगत, समरसता यज्ञ, कन्या पूजन आदि कार्यक्रमों एवं साझे पनघट, साझे श्मशान, साझे मंदिर आदि सद्प्रयासों से समाज में बदलाव आने लगा है। भागवत जी ने कहा कि संघ की योजना है कि ऐसे कार्यों में चालीस वर्ष से उपर के कार्यकर्ताओं को लगाने के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा जिससे सामाजिक कार्यों में उनकी उपादेयता बढ सके। उन्होंने सभी शाखाओं को प्रकल्पवान बनाने पर जोर दिया जिससे स्वयंसेवकों का सेवा कार्यों में योगदान बढे। उन्होंने कहा कि सभी शाखाओं को शिक्षा, संस्कार, स्वास्थ्य रक्षा जैसे सोवा कार्यों में संलग्न होना चाहिए। आज की इस बैठक में राजस्थान क्षेत्र के संघ दृष्टि से 64 जिलों, 19 विभागों एवं तीन प्रांतों से प्रचारक, कार्यवाह एवं संघचालक तथा क्षेत्रीय कार्यकारिणी के सदस्य उपस्थित रहे हैं।
स्वयंसेवक मनाएंगे पौधों का जन्मदिन
एक सत्र में क्षेत्र प्रचारक दुर्गादास ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि संघ की योजना से इस वर्ष किये गए पौधारोपण का कार्यकर्ता अगले वर्ष जुलाई माह में पौधों का जन्मदिन मनाएंगे। इसके पीछे उनका भाव था कि जो पौधें इस साल लगाए गए हैं वे जीवित रहे। इसके साथ ही उन्होंने ग्राम विकास के बारे में भी बात की। उन्होंने गाडिया लौहार व अन्य घुमंतु जातियों में चल रही सेवा योजनाओं की भी जानकारी ली। जानकारी में आया कि बहुत सारे जिलों में तो इस प्रयत्न के कारण गाडिया लौहारों के बच्चों को विद्यालय में प्रवेश दिलाया गया, उनके बीच संस्कार केन्द्र खोले गए है। भरतपुर जिले में तो गाडिया लौहारों के बच्चें कक्षा में भी प्रथम आए।
भीलवाडा विभाग के स्वयंसेवकों का एकत्रीकरण
सरसंघचालक प्रवास के चौथे दिन रविवार दोपहर 2:30 बजे स्थानीय भीमगंज स्कूल मैदान में राजकीय भीलवाडा जिले एवं संघ दृष्टि विभाग के स्वयंसेवकों का नई पूर्ण गणवेश में एकत्रीकरण रखा गया है। एकत्रीकरण में स्वयंसेवकों द्वारा शारीरिक प्रदर्शन भी किया जाएगा। सरसंघचालक डॉ.भागवत जी उपस्थित स्वयंसेवकों को संबोधित करेंगे।
सरसंघचालक जी ने कार्यकर्ताओं के प्रबोधन में इस बात पर भी जोर दिया कि सभी स्वयंसेवकों की सूझबूझ व समझ बढे इस हेतू सभी स्तरों पर सांझी निर्णय प्रक्रिया को बढाया दिया जाना चाहिए। इसके लिए सभी स्तरों पर आत्मीयता व अपनेपन के भाव का विकास परम आवश्यक है।