शुभ घड़ी में विराजे रघुराई…


— 84 सेकेंड के अभिजीत मुहूर्त में हुई ‘रामलला’ मूर्ति की प्राण—प्रतिष्ठा
— देशवासियों के छलके आंसू जब देखी राम की सौम्य,अद्भुत छवि
— प्रतिष्ठा समारोह में दिखी सामाजिक समरसता

जयपुर। सदियों से भारतवासियों को जिस घड़ी की प्रतीक्षा थी, वो आखिरकार 22 जनवरी के विशेष शुभ मुहूर्त में साकार हो गई। अवध नगरी के मुख्य मंदिर में ‘रामलला’ अपने सौम्य श्यामल बाल स्वरूप में विराजित हुए। राम के माथे का तिलक और उनकी सौम्य मुद्रा, देखने वालों की आंखों में बस गई। राम लला के चेहरे की मुस्कान ने मन को मोह लिया। ये अद्भुत और अलौकिक दृश्य देख पूरा देश भावुक हो उठा और ये भावनाएं आंसुओं के साथ छलक पड़ी। ये ही वो क्षण भी था जहां पर ‘सामाजिक समरसता’ भी दिखाई दी।
पिछले 500 वर्षो का इतिहास देखा जाए तो राम मंदिर की प्राण- प्रतिष्ठा उस विश्वास की विजय हैं, जिसमें असंख्य बलिदानियों का संघर्ष छुपा है किंतु अपने राम के प्रति गहरी आस्था थी जो, उस 84 सेकेंड के शुभ मुहूर्त में जीवंत हो उठी जब ‘रामलला’ मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की गई।

अनुष्ठान के बाद हुई पहली आरती—
प्रभु श्री राम के पांच साल के बाल स्वरूप मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा से जुड़ी सभी जरूरी पूजा विधि दोपहर 12 बजकर 29 मिनट 8 सेकेंड से लेकर 12 बजकर 30 मिनट 32 सेकंड के अभिजीत मुहूर्त में मंत्रोच्चार के बीच हुई। अनुष्ठान के बाद पहली आरती भी संपन्न हुई। इस दौरान सर्वार्थ सिद्धि योग,अमृत सिद्धि योग,रवि योग और मृगशिरा नक्षत्र का दुर्लभ संयोग बना जो अत्यंत शुभ माना जाता है।
गूंजी ‘मंगल ध्वनि’ और बज उठे वाद्ययंत्र—
प्राण प्रतिष्ठा के लिए न्यूनतम विधि- अनुष्ठान ही रखे गए थे। समारोह की शुरुआत अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि पर सुबह दस बजे से ‘मंगल ध्वनि’ के भव्य वादन के साथ हुई। विभिन्न राज्यों के 50 से अधिक मनोरम वाद्ययंत्र लगभग दो घंटे तक इस शुभ घटना के साक्षी बनें।
मूर्ति की विशेषता—
रामलला की मूर्ति में बालत्व, देवत्व और एक राजकुमार तीनों की छवि दिखाई दे रही है। मूर्ति का वजन करीब 200 किलोग्राम है। इसकी कुल ऊंचाई 4.24 फीट, जबकि चौड़ाई तीन फीट है। कमल दल पर खड़ी मुद्रा में मूर्ति, हाथ में तीर और धनुष है। कृष्ण शैली में मूर्ति बनाई गई है। मूर्ति के ऊपर स्वास्तिक, ॐ, चक्र, गदा और सूर्य देव विराजमान हैं। रामलला के चारों ओर आभामंडल है। मस्तक सुंदर, आंखें बड़ी और ललाट भव्य है। मूर्ति में भगवान विष्णु के 10 अवतार दिखाई दे रहे हैं। मूर्ति का निर्माण श्याम शिला से हुआ है, जिसका रंग काला होता है। इस वजह से रामलला की मूर्ति श्यामल रूप में दिखाई दे रही है।

You may also like...

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

two × 1 =