राम ललाट पर शोभित चंदन..,रघुपति की जय बोले लक्ष्मण..,अंजनी पुत्र पड़े है चरण में, राम सिया का हो अभिनंदन।
विरह के सौ पर्वत पिघले ..है रघुबीर तब तुम आये.. ये जो पल है जो दशरथ भी नही देख पाये।
राम सिया की करुण कहानी में चौपाईयो द्वारा मर्यादा पुरुषोत्तम राम की छवि का दर्शन प्रस्तुत कर गायक और दर्शक हुए भाव विभार ।
शुभ विचार संस्था जयपुर द्वारा अयोध्या में मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के अभिनंदन में गुरुवार को “राम सिया की करुण कहानी” चौपाई उत्सव आयोजित हुआ,जिसमें 100 से अधिक युवा गायक और 20 वरिष्ठ कलाकारों ने श्रीराम जी की चौपाइयो को ह्रदय को छू कर भावुक करने वाली एक से बढ़कर एक उत्कृट प्रस्तुतियां दी,कार्यक्रम की प्रथम प्रस्तुति वर्षा विजय ने “मंगल भवन अमंगल हारी के साथ दे कर सभागार में उपस्थित दर्शको को राममय और भक्ति भाव मे भाव विभोर कर दिया, जानकी वल्लभ शर्मा ने “प्रथम भक्ति संतन कर संगा,सलोनी टंडन ने ठुमक चलत राम,इसके बाद डिम्पल मगनानी, अरियाना झवर, अनुषा जैन, निष्ठा कोरवानी दिव्या कर्णावत आदि ने एक से बढ़कर प्रस्तुतियां दी
उत्सव में अतिथि के रूप में पधारे वरिष्ठ पत्रकार हिरेन जोशी ने विनय पत्रिका से पद व राम चौपाइयां प्रस्तुत की इस दौरान पूर्व राजस्थान महिला आयोग की अध्यक्ष सुमन शर्मा, पूर्व महापौर ज्योति खंडेलवाल, शरद खंडेलवाल, आर्च कॉलेज की डायरेक्टर अर्चना सुराणा, संस्कार भारती के आत्माराम सिंघल, कथक गुरु रश्मि उप्पल, डॉ अलका गोड,मूर्तिकार माहावीर भारती, निर्मला कुल्हरी,मीना राठी,राजस्थान विश्वविद्यालय कर्मचारी संघ के अध्यक्ष राकेश यादव, रामराय शर्मा आदि ने भी चौपाई और भजनों की प्रस्तुति दी।
उत्सव के निर्देशक और संगीत के शोधकर्ता जीतेन्द्र शर्मा संस्थापक।शुभ विचार संस्था ने बताया कि विश्व भर में प्रतिष्ठा प्राप्त भारतीय शास्त्रीय संगीत की जनक व भारत की प्रथम गायन शैली “चौपाई”पर आधारित उत्सव “राम सिया की करुण कहानी “था
संगीत में चौपाई गायन शैली विश्व की सब से प्राचीन व प्रथम स्वरबद्व गेय विद्या है। जिस के स्वर सामवेद के तीनों स्वर “उदात्त अनुदात्त और मध्यम के समान है। इस शैली की प्रथम प्रस्तुति उल्लेख एवम प्रचलन रामायणकाल में भगवान श्रीराम के पुत्र लव और कुश ने नगर नगर जा कर राम कहानी से मिलता। दोनों ने चौपाई गायन से श्रीराम की कहानी को जन जन तक पहुँचाया।
10 वी शताब्दी में मुस्लिम आक्रांताओं और वर्तमान में पश्चिमी संस्कृति के प्रभाव के कारण भारतीय शास्त्रीय संगीत में चौपाइयां गायन शैली को भुला दिया है हमारी इसी सबसे प्राचीन और प्रथम गायन शैली को पुनः प्रचारित और संरक्षित करने के लिए चौपाई गायन उत्सव का प्रथम बार आयोजन किया गया है ।
जिसमें 100 से अधिक युवा गायक संगीतकार चौपाइयों की प्रस्तुति उन में निहित भावार्थ व संदेश के साथ दी चौपाइयों का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है कि प्रत्येक चौपाई में एक संदेश निहित होता है,
निर्णायक गण द्वारा चयनित प्रथम तीन प्रस्तुतियों को संस्था द्वारा नगद पारितोषिक एवं सभी सहभागियों को प्रमाण पत्र देकर सम्मान गया,आयोजन मालवीय नगर स्थित आर्च कॉलेज के सभागार में प्रातः 11:00 बजे से 5:00 बजे हुआ जिसमें शास्त्रीय संगीत के प्रसिद्ध गुणीजन कलाकार उपस्थित रहें ।