यों तो श्रीनाथजी राव का नाम किसी पहचान का मोहताज नहीं, क्योंकि भारती भवन में आने वाला कोई भी स्वयंसेवक उनके नाम से अच्छी तरह से परिचित है ज्ञान गंगा प्रकाशन जो कि राष्ट्रीय विचारों के व सदसाहित्य के प्रचार के लिए जाना जाने वाला एक प्रकाशन है उस प्रकाशन की संपूर्ण व्यवस्था का काम पूर्णकालिक वानप्रस्थी के रूप में श्रीनाथ जी ने देखी आप बचपन से ही स्वयंसेवक रहे और उनको श्री यादवराव जी जोशी के द्वारा स्वयंसेवक बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ व मा० सूर्यनारायण राव एंव मा० शेषाद्री जी का भी स्नेह एवं सानिध्य प्राप्त हुआ ,आपके छोटे भ्राता प्रचारक रहे हैं आपका परिवार राष्द्र सेविका समिति , सेवाभारती, ज्ञानगंगाप्रकाशन ,विश्व सवांद केंद्र, विद्यार्थी परिषद के कार्यों व प्रकल्पों से अलग-अलग जुड़ा हुआ है इस परिवार की एक और विशेषता है कि परिवार में एक लघु भारत का रूप भी रहता है आपका परिवार 6 प्रांतों से सीधा जुड़ा हुआ है आज आपके झोटवाड़ा स्थित निवास पर ज्ञान गंगा प्रकाशन की वर्तमान टोली जिसमें वरिष्ठ प्रचारक मूलचंद जी सोनी ,प्रकाशन के वर्तमान अध्यक्ष रामलखन जी, जगदीश जी ,ओम प्रकाश जी, हिमांशु गोयल आदि सभी ने जाकर उनकी 18 वर्ष की अभिनंदनीय सेवाओं के लिए उनका सम्मान किया, इस अवसर पर उनके ज्येष्ठ पुत्र प्रताप राव ,मंझले प्रवीण राव व छोटे प्रमोद राव एंव बहुएं भी उपस्थित थीं यह जानकारी देना भी समीचीन होगा कि पिछले दिनों आपने एक पुस्तक का संकलन किया जिसका नाम है पुण्य भूमि भारत यह पुस्तक नयी पीढ़ी को सांस्कृतिक वअखंडभारत के बारे में जानकारी देने हेतु बनाई गई है इस पुस्तक का विमोचन पूज्य सरसंघचालक डा० मोहनराव भागवत ने पिछले माह जयपुर प्रवास के दौरान किया।